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”दोषी का घर नहीं गिराया जा सकता”, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

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Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या किसी का घर केवल इसलिए तबाह किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? अदालत ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी पाया जाता है, तब भी उसका घर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं गिराया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि “सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है? और यदि वह दोषी भी है, तो भी उसका घर गिराना सही नहीं है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्यों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। जस्टिस के.वी. विश्वनाथन, जो इस पीठ का हिस्सा थे, ने कहा कि “किसी को भी कानून की कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए। अगर किसी के पिता का बेटा कानून नहीं मानता, तो इस आधार पर उसके पिता का घर नहीं गिराया जा सकता।”

केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि घर गिराने की कार्रवाई तभी की जाती है जब कानून का उल्लंघन होता है। उन्होंने कहा कि “हम केवल तब कार्रवाई करते हैं जब कानून का उल्लंघन होता है।” इस पर पीठ ने कहा कि कई शिकायतों के आधार पर हमें लगता है कि कानून का उल्लंघन हुआ है।

देशव्यापी दिशा-निर्देश की जरूरत
न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने पूरे देश में अनधिकृत इमारतों को ध्वस्त करने के लिए एक समान दिशानिर्देश की आवश्यकता पर जोर दिया। जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि “दिशानिर्देशों के लिए सुझाव आने दीजिए, हम इसे अखिल भारतीय स्तर पर लागू करने पर विचार करेंगे।”

17 सितंबर को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देगा, लेकिन देश के लिए एक समान दिशा-निर्देश निर्धारित करने पर विचार कर रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। यह याचिकाएं बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई थीं, जिन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या किसी का घर केवल इसलिए तबाह किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? अदालत ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी पाया जाता है, तब भी उसका घर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं गिराया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि “सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है? और यदि वह दोषी भी है, तो भी उसका घर गिराना सही नहीं है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्यों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। जस्टिस के.वी. विश्वनाथन, जो इस पीठ का हिस्सा थे, ने कहा कि “किसी को भी कानून की कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए। अगर किसी के पिता का बेटा कानून नहीं मानता, तो इस आधार पर उसके पिता का घर नहीं गिराया जा सकता।”

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