फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसाइटीज का प्रतिनिधिमंडल मिला विस अध्यक्ष से
रायपुर। फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसाइटीज रायपुर छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह से भेंट कर आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति राशि के नियमित भुगतान तथा राशि में वृद्धि विषयक और विद्यालय फीस विनियामक समिति द्वारा अनुमोदित शुल्क आरटीई पोर्टल में प्रविष्ट करने के लिए निवेदन किया गया। प्रतिनिधि मंडल में अजय तिवारी, डॉ सुरेश शुक्ला, अशोक पटेल,अरविंद शर्मा, वीके मिश्रा, शीबा चंडोक, रेणु हैंगर, रितेश पुरोहित, आचार्य अर्पितानंद शामिल थे।
विदित हो कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 के अंतर्गत प्रवेशित छात्र – छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान विलंब से किया जाता है। प्राय: यह विलंब दो से तीन वर्षों की होती है इससे निजी शालाओं के रख रखाव एवं सुचारु रुप से संचालन पर विपरीत असर पड़ता है। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम 2012 में स्पष्ट उल्लेख है कि धारा 12 की उपधारा दो के साथ पठित धारा 7 की उप धारा 2 के अधीन प्रतिपूर्ति राशि राज्य सरकार द्वारा समय समय पर विनिश्चित किए गए अनुसार प्रत्येक वर्ष के शैक्षणिक सत्र के अंत में मार्च में की जाएगी,
किंतु यह राशि प्रति वर्ष के अंत में मार्च में भुगतान नहीं होती है ।
इस संदर्भ में फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसाइटीज रायपुर छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह से मुलाकात कर निवेदन किया गया कि प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नियमत हो प्रत्येक सत्र की राशि उसी सत्र के अंत में मार्च माह तक प्रदान किया जाए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 में शुल्क प्रतिपूर्ति राशि का जो निर्धारण किया गया था वह लगभग 12 वर्षों के बाद भी यथावत है परंतु यह राशि किसी से छिपी नहीं है कि तब से हर चीज की कीमतों में कितने अधिक वृद्धि हो चुकी है साथ ही विभिन्न बोर्ड के द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न शुल्क में वृद्धि हो चुकी है ।
अत: निजी शालाओं के खर्चे भी उसी अनुपात में बढ़ रहे हैं अत: वही प्रतिपूर्ति राशि अभी भी दिया जाना न्याय उचित नहीं है । अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख की सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों में प्रति छात्र प्रतिवर्ष जो राशि खर्च होता है उसी आधार पर प्रतिपूर्ति राशि का निर्धारण किया जावे ।
इस विषय पर भी डा. रमन सिंह से निवेदन किया गया कि प्रति छात्र उपगत व्यय के आधार पर प्रतिवर्ष प्रतिपूर्ति राशि की समीक्षा की जाए तथा प्रत्येक वर्ष के अंत में मार्च तक संशोधित शुल्क का निर्धारण एवं संशोधित शुल्क का भुगतान सुनिश्चित किया जाए ,देश के अन्य राज्यों में यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो चुकी है।
आर टी ई पोर्टल में प्रोफाइल अपडेट करते समय प्रदेश के अधिकांश स्कूलों ने नोडल के निर्देशानुसार स्कूल फीस में विद्यालय विनियामक समिति द्वारा अनुमोदित वार्षिक शुल्क के बदले शासन द्वारा निर्धारित आरटीई शिक्षण शुल्क अधिकतम 7000 कक्षा नर्सरी से पांचवी तक तथा 11400 रुपए कक्षा छटवीं से आठवीं तक 15000 कक्षा 9वीं से 12वीं तक की एंट्री कर दी गई थी जबकि नियमानुसार फीस विनियामक समिति द्वारा अनुमोदित शुल्क की ही प्रविष्टि होनी चाहिए ,चुकी अभी 30 जनवरी तक पोर्टल प्रोफाइल अपडेट करने के लिए विद्यालय स्तर पर खोला गया था उपरोक्त गलत जानकारी के कारण अधिकांश स्कूलों ने शिक्षण शुल्क का अपडेशन नहीं किया है अत: महोदय से निवेदन किया गया कि विद्यालय की फीस विनियम समिति द्वारा अनुमोदित शुल्क प्रविष्ट करने का अवसर प्रदान की जाएं अन्यथा विद्यालयों को अतिरिक्त आर्थिक हानि होगी और साथ ही पोर्टल की अवधि बढ़ाने के लिए भी मांग की रखी गई।