Madhya Pradesh

33 साल बाद न्याय झूठे केस में फंसे व्यापारी प्रदीप जैन को हाईकोर्ट से 13 लाख की क्षतिपूर्ति

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पुलिस की मनमानी और सत्ता के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला 33 साल बाद सामने आया है। आत्महत्या के झूठे केस में फंसाकर 993 दिन तक जेल भेजे गए शहर के व्यापारी प्रदीप जैन को आखिरकार न्याय मिला है। अदालत ने उन्हें दो मामलों में दोषमुक्त करने के साथ ही क्षतिपूर्ति देने के भी निर्देश दिए। इस मामले में कुल 13 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति तत्कालीन भिलाई थाना प्रभारी (टीआई) एमडी तिवारी से वसूल की गई।

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि टीआई ने दुर्भावनापूर्वक व्यापारी को झूठे प्रकरण में फंसाया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में या तो राज्य सरकार क्षतिपूर्ति दे या दोषी अधिकारी से राशि वसूल कर पीड़ित को दी जाए। इसके बाद जिला प्रशासन ने टीआई की संपत्ति की जांच कराई। नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही टीआई ने तहसीलदार के पास 13.40 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा कर दिया, जिसे 17 दिसंबर को कोर्ट में जमा किया गया।

मामला वर्ष 1992 का है। प्रदीप जैन भिलाई के सेक्टर क्षेत्र में साइकिल की दुकान और रूआबांधा इलाके में दूध डेयरी चलाते थे। उनके छोटे भाई की पत्नी की आत्महत्या के दौरान जांच भिलाई नगर थाना पुलिस कर रही थी और तत्कालीन सीएसपी आरपी शर्मा के प्रभार में प्रदीप जैन समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया। प्रदीप को दुर्ग से गिरफ्तार किया गया और उन्हें करीब 993 दिन जेल में रहना पड़ा। उनके डेयरी की भी तोड़फोड़ की गई और 35 भैंसें छोड़ दी गईं।

रिहाई के बाद प्रदीप जैन ने हाईकोर्ट में क्षतिपूर्ति के लिए अपील दायर की। विस्तृत सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि पुलिस की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण थी और दोषी तत्कालीन टीआई एमडी तिवारी हैं। कोर्ट ने क्षतिपूर्ति की राशि ब्याज सहित देने का आदेश दिया। इसके बाद कलेक्टर अभिजीत सिंह के निर्देश पर प्रशासन ने टीआई की संपत्ति की जांच करवाई और कुर्की व नीलामी से पहले ही पूरी राशि जमा करवा ली। यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति को न्याय मिलने का उदाहरण है, बल्कि पुलिस की जवाबदेही तय करने वाला अहम फैसला भी माना जा रहा है।

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