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अबूझमाड़ ओरछा की बेटियाँ संभाग स्तरीय खो-खो प्रतियोगिता में नारायणपुर का करेंगी प्रतिनिधित्व

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रायपुर। बस्तर के सुदूर अंचलों में दबी पड़ी खेल प्रतिभाओं को एक मजबूत मंच देने के लक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा प्रारंभ किए गए बस्तर ओलंपिक ने अबूझमाड़ के युवाओं के जीवन में नई उमंग और नई दिशा जगाई है। 2024 में पहली बार आयोजित हुए इस महोत्सव की अभूतपूर्व सफलता के बाद, इस वर्ष पुनः भव्य रूप में बस्तर ओलंपिक 2025 का आयोजन किया जा रहा है। 11 से 13 दिसंबर तक जगदलपुर में होने वाली संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रदेश भर की नजरें अबूझमाड़–ओरछा की बेटियों पर टिकी हैं।

 जिला स्तर पर प्रथम स्थान जीतकर रबिना और टीम ने संभागीय मंच तक बनाई शानदार जगह
जिला स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए रबिना पोटाई के नेतृत्व वाली नारायणपुर की जूनियर खो-खो टीम ने संभाग स्तरीय प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाई किया है। ओरछा की शांत-पहाड़ी गलियों से निकलकर प्रदेश स्तर के मंच तक पहुंची यह टीम अब अपने जिले के लिए नए कीर्तिमान बनाने को तैयार है।
अबूझमाड़ ओरछा की रबिना पोटाई ने बताया कि बचपन से ही उसका मन खेल में लगता था। मेरे माता-पिता नहीं और हम लोग 4 भाई-बहन हैं वे हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते हैं। पहले हमारे क्षेत्र में न तो अच्छे अभ्यास के साधन थे और न ही बड़े प्रतियोगिताओं का अनुभव मिल पाता था इसलिए हमारी प्रतिभा अक्सर दिख नहीं पाती थी। जब से बस्तर ओलंपिक शुरू हुआ है तब से हमें वह मंच मिला जिसकी हमें वर्षों से आवश्यकता थी। मैंने पिछले साल भी इसमें भाग लिया था और संभाग स्तर तक पहुँचकर दूसरा स्थान प्राप्त किया था। उस अनुभव ने मुझे और मजबूत किया। इस बार हमने और कड़ी मेहनत की है। हमारा एक ही लक्ष्य है कि नारायणपुर जिले को खो-खो में प्रथम स्थान दिलाना है। मैं चाहती हूँ कि मेरा गाँव, मेरा स्कूल और मेरा जिला मुझ पर और मेरे पुरे टीम के ऊपर गर्व महसूस करे। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी का इस पहल के लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ। यह आयोजन हमें बड़े मंचों तक पहुँचने का मौका दे रहा है और हम सभी अपनी पूरी क्षमता दिखाएँगे।

 जिला स्तर पर प्रथम स्थान जीतकर रबिना और टीम ने संभागीय मंच तक बनाई शानदार जगह
रबिना के साथ खेलने वाली खिलाड़ी हैं सलोनी कोवाची, सुंदरी पोटाई, रोशनी कुमेटी, सनिता, सरीता मंडावी, शिवानी कचलाम, अंजु रावल, कविता पद्दा, ममता वड्डे, मनिषा पोटाई और सुनिता उसेंडी। इन खिलाड़ियों ने सीमित संसाधनों के बावजूद अनुशासन और निरंतर अभ्यास से जिला स्तर पर श्रेष्ठता साबित की है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा बस्तर ओलंपिक की शुरूआत ने सुदूर व घने जंगलों में रहने वाली पीढ़ियों के नजरिये में बदलाव लाया है। पहले जहां प्रतिभा नजरअंदाज होती थी वहाँ अब संरचित मंच और प्रतिस्पर्धा के अवसर उपलब्ध हैं। रबिना और उनकी टीम की यह उपलब्धि सिर्फ खेल की जीत नहीं है यह सामाजिक बदलाव आत्मविश्वास और मेहनत की जीत भी है।

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