गबन के आरोपी EE और प्रभारी SDO को 3 साल का सश्रम कारावास

जगदलपुर। दंतेवाड़ा जिले में भ्रष्टाचार के 15 साल पुराने एक मामले में विशेष न्यायालय ने निर्माण विभाग के ईई और एसडीओ को 3-3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला सड़क निर्माण में ठेका एजेंसी के नाम वास्तविक कार्य से अधिक बिल भुगतान का है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार होता, विशेष न्यायाधीश, दंतेवाड़ा ने इस महत्वपूर्ण फैसले में ईई चोवाराम पिस्दा और प्रभारी एसडीओ ज्ञानेश कुमार तारम को दोषी करार दिया। इस मामले की सुनवाई साल 2010-11 स चल रही थी। लोक निर्माण विभाग सुकमा में पदस्थ कार्यपालक अभियंता चोवाराम पिस्दा और कोन्टा के उप अभियंता एवं प्रभारी SDO ज्ञानेश कुमार तारम ने एक सड़क निर्माण योजना में भारी अनियमितता की थी। न्यायालय द्वारा भारतीय दंड साहिता की अलग-अलग धराओं के तहत दोनों आरोपियों को 3-3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई ।
साल 2010-11 में LWE योजना के तहत चिंतलनार से मरईगुड़ा तक सडक निर्माण का कार्य चल रहा था। निर्माण का ठेका नीरज सीमेंट स्ट्रक्चर लिमिटेड मुंबई को दिया गया था। निर्माण कार्य की माप पुस्तिका फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए ज्यादा दर्शाए गए थे। कार्य से कहीं अधिक मूल्य का बिल बनवाया गया और करीब 2 करोड़ 84 लाख की राशि का अतिरिक्त आहरण कर ठेकेदार को भुगतान करवा दिया गया था। माप पुस्तिका में कूटरचना और आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र के प्रमाण मिले।
इस मामले में 5 सितंबर 2012 को FIR दर्ज की गई थी। इसके पश्चात 29 जुलाई 2019 को न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन (चार्जशीट) प्रस्तुत किया गया। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा कुल 19 गवाहों के बयान न्यायालय में हुए। बयान और सक्ष्यों ने अभियुक्तों की संलिप्तता और षड्यंत्र को स्पष्ट कर दिया। विशेष न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोनों अभियुक्तों को दोषी पाकर सजा सुनाई है। न्यायलय ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा 13(2), भा.द.सं. की धारा 120, 420, 467, 468, 471 के तहत दोनों को सजा सुनाई है।
