जैविक एवं प्राकृतिक कृषि से खेती होगी समृद्ध और किसान होंगे खुशहाल

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और अक्षय कृषि परिवार संस्था द्वारा प्राकृतिक एवं जैविक कृषि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कृषि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से आए किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक प्रणाली के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। सम्मेलन के दौरान किसानों को छत्तीसगढ़ में तिलहन फसलों के उत्पादन के बारे में कृषि वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया। कृषि सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रख्यात विचारक एवं समाज सेवी श्री भागैय्या थे और अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री मनोज भाई सोलंकी, अध्यक्ष अक्षय कृषि परिवार, श्री गजानन डोंगे, उपाध्यक्ष अक्षय कृषि परिवार एवं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना उपस्थित थे।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्री भागैय्या ने प्राकृतिक एवं जैविक कृषि की अवधारणा, सिद्धान्त, प्रविधि तथा इसके लाभकारी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए किसानों से प्राकृतिक एवं जैविक कृषि प्रणाली को अपनाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक एवं जैविक कृषि से खेतों में उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग होता है तथा भूमि के स्वास्थ्य एवं उर्वरता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की प्राचीन परंपराओं में ऋषि कृषि की संकल्पना निहित है, जिसमें गौ आधारित प्राकृतिक एवं जैविक कृषि पद्धतियों का प्रयोग किया जाता था। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक एवं जैविक कृषि धरती माता को स्वस्थ रखने के साथ ही फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि करती है तथा मानव, पशु-पक्षी, कीट-पतंगों, सूक्षम जीवों तथा पर्यावरण के स्वास्थ्य की भी रक्षा करती है। उन्होंने भूमि सुपोषण पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता जताई। श्री भागैय्या ने कहा कि अक्षय कृषि परिवार देश के विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है तथा इनके प्रयासों से देश में लाखों किसानो ने प्राकृतिक एवं जैविक कृषि को अपनाया है। उन्होंने उपस्थित कृषकों को रसायन मुक्त प्राकृतिक और गौ आधारित खेती करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे अपने खेतों पर अगली फसल के लिए जैविक पद्धति से बीज, खाद, कीट नाशक तथा अन्य सामग्री तैयार कर स्वावलंबी कृषि ओर बढ़ें।
