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कल कलश स्थापना व दंतेश्वरी मांई की प्रथम पालकी के साथ शुरू होगा रियासत कालीन फागुन मंडई

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दंतेवाड़ा। मां दंतेश्वरी की नगरी दंतेवाड़ा में रियासत कालीन ऐतिहासिक फागुन मंडई (फागुन मेला) 5 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरूआत होने जा रही है, इसके लिए दंतेश्वरी टेंपल कमेटी ने तैयारी पूरी कर ली है। फागुन मंडई की तय कार्यक्रम के अनुसार 5 मार्च को कलश स्थापना के साथ प्रथम पालकी ताड़ फलंगा धोनी की रस्म पूरी की जायेगी, 6 मार्च – खोर खुदनी, 7 मार्च – नाच मांडणी, 8 मार्च – लम्हामार, 9 मार्च – कोडरिमार, 10 मार्च – चितलमार, 11 मार्च – गंवर मार, 12 मार्च – बड़ा मेला, 13 मार्च – आंवरामार, 14 मार्च – रंग भंग पादुका पूजन की रस्म, 15 मार्च – आमंत्रित देवी-देवताओं की विदाई के साथ फागुन मंडई अगले वर्ष के लिए परायण के साथ संपन्न हो जायेगा।
रियासत कालीन ऐतिहासिक फागुन मंडई देखने देश-विदेश से पर्यटक दंतेवाड़ा पहुंचते हैं, फाल्गुन मंडई के अलावा पर्यटक आस-पास के पर्यटन स्थलों का भी भ्रमण करते हैं। जिला प्रशासन पर्यटकों के लिए उचित व्यवस्था भी करती है, गाइड के जरिए पर्यटकों को पर्यटन स्थल घूमाने का उचित प्रबंध किया गया है। फागुन मंडई की हर रस्म देखने के लिए यहां आए पर्यटक उत्सुक रहते हैं, हर साल पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। फागुन मंडई के लिए जारी कार्यक्रम के अनुसार, 5 मार्च को फागुन मेले में कलश स्थापना के साथ इसी दिन दंतेश्वरी मांई की प्रथम पालकी निकाली जाती है। 12 मार्च को बड़े मेले के दिन बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचन्द्र भंजदेव नगर का भ्रमण करने की परंपरा का निर्वहन करेंगे। फागुन मंडई में 5 मार्च को प्रथम पालकी ताड़ फलंगा धोनी की रस्म होगी. अत में 15 मार्च को आमंत्रित देवी-देवताओं की विदाई के साथ फागुन मंडई का समापन होगा।
दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जीया ने बताया कि 5 मार्च को कलश स्थापना के साथ फागुन मंडई शुरू होगी। फागुन मंडई में शिकार नृत्यों की रोचक प्रस्तुति होती है, इसी लिए इसे आखेट नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। इसमें गौर मार जैसी कई रश्म दिखाई जाती है, जो ग्रामीण इलाकों के नृत्य दल प्रस्तुत करते हैं। फागुन मेले में 1200 हजार से ज्यादा देवी-देवताओं के आने की संभावना है। इसके लिए न्यौता भी दिया जा चुका है। बस्तर के साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी देवी-देवता के साथ वहां के पुजारी दंतेवाड़ा पहुंचेंगे।

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