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एसईसीएल के कोल डिस्पैच ने पकड़ी रफ्तार, डेली डिस्पैच 5 लाख टन के पार

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बिलासपुर। वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में एसईसीएल के कोल डिस्पैच ने रफ्तार पकड़ ली है। एसईसीएल द्वारा प्रतिदिन 5 लाख टन से अधिक कोयला उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है। कंपनी द्वारा प्रतिदिन लगभग 55 रैक कोयला पावर प्लांट्स सहित विभिन्न उपभोक्ताओं को भेज रहा है। 27 जनवरी तक एसईसीएल का कुल कोल डिस्पैच 138 मिलियन टन के पार पहुँच चुका है। कंपनी के आधार स्तम्भ गेवरा, दीपका एवं कुसमुंडा मेगाप्रोजेक्ट्स द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में क्रमश: 46, 25 एवं 26 मिलियन टन कोयला डिस्पैच किया गया है।
एसईसीएल में फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के क्रियान्वयन ने डिस्पैच को गति प्रदान की है। कंपनी ने पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में ए$फएमसी से डिस्पैच में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की है। सेंट्रल इंडिया कोलफील्ड्स जिसमें कंपनी के चिरिमिरी, बैकुंठपुर, बिश्रामपुर, हसदेव, भटगांव, जमुना-कोतमा, सोहागपुर एवं जोहिला संचालन क्षेत्र शामिल हैं, की बात करें तो यहाँ 57000 टन के स्तर से 24 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्तमान में 71000 टन कोयला प्रतिदिन डिस्पैच किया जा रहा है।
ए$फएमसी के कार्यसंचालन को और बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास के जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप अंडरलोडिंग में कमी आई है। ए$फएमसी के अंतर्गत मैकेनाइज्ड कन्वेयर बेल्ट की मदद से खदान के पिट हेड से सीधे साईडिंग का कोयला भेजा जाता है जिससे समय व धन की बचत होती साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है। कंपनी द्वारा नए ए$फएमसी प्रोजेक्ट्स को शुरू किया गया है जिनमें पिछले वर्ष माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू किए गए दीपका क्षेत्र के दीपका साइलो एवं रायगढ़ क्षेत्र के छाल एवं बरौद साइलो शामिल हैं।
रेल कॉरिडोर से डिस्पैच इन्फ्रा हुआ मजबूत
एसईसीएल द्वारा अपनी अनुषंगी कंपनियों सीईआरएल एवं सीईडबल्यूआरएल के माध्यम से छत्तीसगढ़ के कोयलांचल में 10000 करोड़ की लागत से 300 किमी लंबे रेल कॉरिडोर को विकसित किया जा रहा है। रेल कॉरिडोर के बनने से आने वाले समय में कोयला भेजने के लिए यात्री रेल मार्ग पर निर्भरता कम होगी तथा कोल डिस्पैच क्षमता में विस्तार होगा। वर्तमान में एसईसीएल के पास 70 रैक प्रतिदिन कोयला भेजने की क्षमता है लेकिन रेल सर्किट में निर्माण कार्य तथा मौजूदा नेटवर्क को अपग्रेड किए जाने से रैकों की उपलब्धता प्रभावित हुई है। आने वाले समय में रेलवे रैकों की उपलब्धता के अनुरूप डिस्पैच में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

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