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दस दिवसीय फागुन मड़ई 5 से 15 मार्च तक, देवी-देवताओं की विदाई के साथ होगा परायण

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दंतेवाड़ा। जिले के रियासत कालीन ऐतिहासिक फागुन मड़ई की शुरूआत 5 मार्च से होगी और इसका समापन 15 मार्च को होगा, हालांकि फागुन मेले की शुरूआत दंतेवाड़ा में बसंत पंचमी को हो जाती है, आम के बौर की पूजा और दंतेश्वरी मंदिर के सामने त्रिशूल और खंब गाड़कर फागुन मड़ई की शुरुआत होती है और होली के धुरेड़ी के बाद इस फागुन मड़ई का समापन होता है। फागुन मड़ई में होने वाला गौरमार, कोडरीमार, लम्हामार जैसा अनोखा स्वांग रचाया जाता है, जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। दंतेश्वरी माता का छत्र, छड़ी तथा फागुन मड़ई में गांव-गांव से आये हुए देवी-देवताओं के प्रतीक नगर भ्रमण में रोजाना निकलते हैं। दंतेश्वरी मंदिर में लगने वाला पहला ऐसा मेला है, जहां बस्तर संभाग के अलावा पड़ोसी राज्य उड़ीसा के गांवों से भी देवी-देवताओं को लेकर ग्रामीण इस मेले में शामिल होते हैं। मेले में आने वाले देवी देवताओं को विदाई में कुछ सामग्री भेट स्वरूप देकर ससम्मान विदाई के बाद फागुन मड़ई का परायण आगामी वर्ष ओ लिए हो जाता है। दंतेवाड़ा के फागुन मेले में पूरे परिवार के साथ पूर्व राज परिवार के सदस्य पहुंचते हैं, पूर्व राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव नगर भ्रमण करते हैं।
दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जिया ने बताया कि आदिवासियों की आस्था, परंपरा और श्रद्धा से जुड़े इस ऐतिहासिक फागुन मड़ई की शुरुआत हो चुकी है। 5 मार्च से दस दिनों तक यहां मेला लगेगा, प्रति दिन शाम को माता की डोली निकाली जाएगी और आखेट परंपरा का निवर्हन किया जाएगा। इस दौरान आमंत्रण बस्तर राज परिवार को मेले में आने का दिया जाता है, अब इसमें कौन-कौन आएंगे यह राजमहल से ही तय होता है।

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