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सेवा कर रिफंड पर हाईकोर्ट का फैसला, करदाता को लौटाना होगा राशि

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सर्विस टैक्स रिफंड के बारे में एक जरूरी फैसले में साफ किया कि अगर किसी मामले में सर्विस टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती है, तो जांच के दौरान जमा की गई रकम टैक्सपेयर को वापस करनी होगी। इस बात पर गौर करते हुए, हाई कोर्ट ने सर्विस टैक्स रिफंड का आदेश दिया। यह फैसला टैक्सपेयर दीपक पांडे की याचिका पर दिया गया।
हाई कोर्ट ने सर्विस टैक्स अपील को मंज़ूरी देते हुए, डिपार्टमेंट और कस्टम्स, एक्साइज़ और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के ऑर्डर को रद्द कर दिया। डिपार्टमेंट और ट्रिब्यूनल ने फाइनेंस एक्ट, 1994 के सेक्शन 102(3) के तहत टाइम लिमिट खत्म होने का हवाला देते हुए रिफंड क्लेम को खारिज कर दिया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने की। यह पिटीशन उस ऑर्डर के खिलाफ फाइल की गई थी जिसमें सर्विस टैक्स जांच के दौरान जमा किए गए 14.89 लाख रुपए रिफंड करने से मना कर दिया गया था। टैक्सपेयर ने कोर्ट को बताया कि वह एक रजिस्टर्ड सर्विस टैक्स पेयर है। डिपार्टमेंट ने उसे एक मल्टी-लेवल पार्किंग प्रोजेक्ट से जुड़ी सर्विस टैक्स लायबिलिटी का आरोप लगाते हुए समन जारी किया था।
जांच के दौरान, टैक्सपेयर ने 14.89 लाख रुपए जमा किए। रायपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने बाद में सा$फ किया कि पार्किंग की सुविधा पब्लिक के $फायदे के लिए थी और इसका इस्तेमाल किसी कमर्शियल काम के लिए नहीं किया जा रहा था।

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