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नक्सलियों के सीएमसी द्वारा जारी बुकलेट में स्वीकारा 11 महीने में 320 नक्सली मारे गये

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जगदलपुर। पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी यानी पीएलजीए के 25 वर्ष पूरे होने पर नक्सलियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने 17 पेज का एक संदेश बुकलेट जारी कर बीते 11 महीने का ब्योरा दिया है। इस बुकलेट के जरिए नक्सलियों ने बताया है कि 2025 में कगार युद्ध ने उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचाया है। नक्सलियों को साल 2025 में सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, उनके बड़े लीडर इसी साल मारे गए। नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेंट्रल कमेटी के 8 सदस्य जो अपने-अपने क्षेत्र के बड़े लीडर थे, वे अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए। हालांकि नक्सलियों ने यह भी कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। बताया गया कि पिछले 11 महीने में देशभर में उनके 320 साथी मारे गए हैं। इनमें 8 सेंट्रल कमेटी के सदस्य हैं, जबकि 15 राज्य समिति मेंबर्स हैं। पोलित ब्यूरो मेंबर और महासचिव बसवा राजू के एनकाउंटर को नक्सल संगठन ने सबसे बड़ा नुकसान माना है। नक्सलियों ने 2 से 8 दिसंबर तक पीएलजीए की 25वीं वर्षगांठ मनाने की बात कही है।
जारी बुकलेट में भूपति और सतीश को फिर बताया गद्दार एक बार फिर नक्सलियों ने अपने बयान में महाराष्ट्र में सरेंडर करने वाले सेंट्रल कमेटी मेंबर भूपति और बस्तर में सरेंडर करने वाले सतीश को गद्दार बताया हैं। कहा गया कि उनके नेतृत्व में 299 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। नक्सल संगठन के 227 हथियार पुलिस को सौंप दिए हैं। भूपति और रूपेश की कड़ी आलोचना की गई है। जारी बुकलेट के अनुसार बिहार-झारखंड में 22, ओडिशा में 33, महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर 6, तेलंगाना में 8, दंडकारण्य में 243 न नक्सली मारे गए हैं। इनमें 8 सीसीएम, 15 एससीएम, 25 जिला कमेटी स्तर के, 73 एसीएम, 116 पार्टी सदस्य, 13 पीएलजीए सदस्य, 33 स्थानीय जन निर्माण के सदस्य शामिल हैं। अन्य 37 कैडर्स की जानकारी केंद्रीय समिति के पास नहीं है। दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 तक 11 महीनों में देशभर में संगठन को काफी नुकसान होने की बात कही गई है। 320 नक्सली मारे गए जिनमें 187 पुरुष और 117 महिलाएं थीं 1 हालांकि अन्य 20 लोगों का विवरण केंद्रीय कमेटी के पास भी नहीं है। नक्सलियों ने अपने बुकलेट में इस बात को स्वीकारा है, कि कगार युद्ध के बीच बढ़ते दबाव और घेराबंदी से संगठन को नुकसान हुआ है। इसी बीच नक्सलियों की पीएलजीए का सबसे बड़ा लीडर और कमांडर हिड़मा भी ढेर कर दिया गया है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि माओवादियों के अपने ही द्वारा जारी बुकलेट में 320 नक्सली कैडरों, जिनमें वरिष्ठ कैडर भी शामिल हैं, की मौत की स्वीकारोक्ति उनके संगठन के गहरे संकट और तेज़ी से हो रहे पतन को स्पष्ट रूप से उजागर करती है। विफल और अप्रासंगिक हो चुकी माओवादी क्रांति के नाम पर जारी हिंसा का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इसकी सबसे बड़ी कीमत निर्दोष ग्रामीणों और आदिवासी समुदायों ने ही चुकाई है। बस्तर के सर्वांगीण विकास और स्थायी शांति के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है, जहाँ सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेज़ बदलाव लोगों के जीवन में नया विश्वास और आशा ला रहे हैं। माओवादी कैडरों से पुन: अपील है कि वे हिंसा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ें—जहां सम्मान, सुरक्षा, पुनर्वास और जीवन में आगे बढऩे के अवसर उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। बस्तर आईजी ने अपील करते हुए कहा कि हिंसा का रास्ता छोड़ें, हथियार डालें और मुख्यधारा में लौटकर सम्मान जनक जीवन, सुरक्षा, पुनर्वास और प्रगति के अवसर प्रत्येक आत्मसमर्पण करने वाले का इंतज़ार कर रहा है। जो भी ईमानदारी से लौटना चाहता है, उसके लिए सुधार और पुनर्वास का दरवाज़ा हमेशा खुला रहेगा।

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