दाने-दाने के लिए करना पड़ता है मेहनत, खाते में आती है राशि तो मिलती है खुशी
00 किसान गुलाब सिंह ने कृषक उन्नति योजना को बताया आर्थिक उन्नति का माध्यम
रायपुर। सिंचाई के साधनों से जूझने वाले हम किसानों के लिए तो आसमान और सरकार ही भगवान है। बारिश अच्छी हुई तो फसल भी अच्छा होता है और अच्छी फसल होने और सरकार द्वारा अच्छी कीमत तय करने पर ही हमें अपनी मेहनत का पूरा मोल मिल पाता है। हमें खेत में उतरकर परिश्रम करना पड़ता है। पसीने बहाने पड़ते हैं, तब जाकर फसल ले पाते हैं और दाने-दाने को अलग कर इन फसलों को बेच पाते हैं। हमारी खुशी तब दुगनी होती है जब हमारी उम्मीदें पूरी होती है। छत्तीसगढ़ की विष्णु देव की सरकार ने हम किसानों के मेहनत के पसीने की कीमत को समझकर धान के समर्थन मूल्य पर खरीदने की अच्छी व्यवस्था की है, जिससे हम किसान खुश है।
यह उम्मीदें तब से बनती रहती है जब से किसान खेत में हल चलाता है और उनके ऊपर जो कर्ज है, उससे मुक्त होने के लिए उम्मीदें लगाए रहता है, फसल बेचकर घर का कुछ नया सामान लाने का सपना संजोएं रहता है। यह उम्मीद, यह सपना फसल अच्छा पैदा होने और उसे सुरक्षित बेच पाने के बाद जब खाते में राशि आती है तभी खुशी के रूप में पूरी होती है…यह कहना है लगभग सत्तर साल के किसान गुलाब सिंह का। खेत से धान की फसल को लाकर मिंजाई में व्यस्त गुलाब सिंह ने बताया कि किसानों को आसमान और सरकार से ही उम्मीद रखनी पड़ती है, इस बार भी दोनों से उम्मीद पूरी हो रही है, यह बहुत खुशी की बात है। गुलाब सिंह ने बताया कि उन्हें मालूम है कि पिछले साल भी जब उन्होंने अपनी खेत में लगी धान को बेचा था तब समर्थन मूल्य की राशि के अलावा जो अंतर की राशि थी वह एकमुश्त खाते में आ गई थी। उन्हें प्रति क्विंटल 31 सौ रूपये की दर से धान का लाभ मिला था। इसके अलावा दो साल का बकाया बोनस की राशि भी उन्हें मिली थी। गुलाब सिंह खुश है कि इस बार भी उन्हें अपनी मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा और जो उम्मीदें हैं वह पूरी होंगी।
कोरबा विकासखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती ग्राम ठाड़पखना के किसान गुलाब सिंह ने बताया कि उनके पास लगभग 6-7 एकड़ की जमीन है, जिस पर धान की फसल लेता है। अभी धान की मिंजाई में व्यस्त किसान गुलाब सिंह ने बताया कि विगत वर्ष भी बारिश ठीक-ठाक हुई थी। इस साल भी बारिश ने दगा नहीं दिया और उन्हें उम्मीद के मुताबिक फसल मिली है। बुजुर्ग किसान गुलाब सिंह ने बताया कि उनके क्षेत्र में सिंचाई का साधन नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से आसमान पर ही सबको निर्भर रहना पड़ता है। इस वर्ष बारिश अच्छी हुई है और फसल भी ठीक-ठाक हो गया है, इसलिए परेशानी नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले लेमरू में उन्होंने अपना धान बेचा था, धान बेचने की गई व्यवस्था पहले की अपेक्षा बहुत बदल गई है और सुविधाजनक हो गई है। पहले धान बेचने में बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी।
उन्होंने बताया कि धान का समर्थन मूल्य मिलने के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अतिरिक्त राशि दी जाती है। यह राशि हम किसानों के लिए बहुत काम आती है। हमें खुशी है कि हम किसानों को एक क्विंटल धान की कीमत 31 सौ रूपए मिलती है, जो कि अन्य दूसरे राज्यों की अपेक्षा सर्वाधिक कीमत है। किसान गुलाब सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय किसान परिवार से है, इसलिए किसानों की समस्याओं को समझते हैं। उन्होंने कहा कि कृषक उन्नति की दिशा में उठाए गए कदम से किसानों को राहत मिल रही है और किसान भी खुश है। गुलाब सिंह ने बताया कि जल्दी ही मिंजाई का काम पूरा होने के बाद वे अपनी धान उपार्जन केंद्र में बेचेंगे, उन्होंने अपना पंजीयन भी कराया है।