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बस्तर, दंतेवाड़ा सहित छह जिलों की महिला स्व-सहायता समूह को पुन: मिलेगी रेडी टू ईट बनाने की जिम्मेदारी

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जगदलपुर। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत रेडी टू ईट की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पहले चरण में छह जिलों को शामिल किया गया है, इसके बाद धीरे-धीरे संख्या बढ़ाई जाएगी। महिला व बाल विकास विकास विभाग की सचिव शम्मी आबादी की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है।
अधिकारियों का कहना है कि रेडी टू ईट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की दिशा-निर्देश के अनुसार व्यवस्था की जानी है, जिसके तहत समूहों को सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावेगी । यही कारण है कि रेडी टू ईट की जिम्मेदारी सभी जिलों में स्व-सहायता समूहों को नहीं दी गई है। आगामी एक अप्रैल से बस्तर, दंतेवाड़ा जिले सहित प्रदेश के अन्य छह जिलों की महिला स्व-सहायता समूह को रेडी टू ईट बनाने की जिम्मेदारी मिल जायेगी।
उल्लेखनिय है कि वर्ष-2009 से संचालित रेडी टू ईट की जिम्मेदारी पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार ने 20 नवंबर, 2022 को महिला स्व-सहायता समूह से छीनकर निजी कंपनी को सौंप दी थी। इससे महिलाओं के स्वजन को मिलाकर करीब तीन लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए थे। भाजपा ने इसका जमकर विरोध किया था। प्रदेश में कुल 1786 महिला स्व सहायता समूह हैं। प्रदेश में रेडी टू ईट को स्व सहायता समूहों को देने के मामले को विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी की गारंटी में शामिल किया था। चुनाव के बाद सरकार बनते ही समूहों को सौंपने का निर्णय लिया गया। विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये दिशा-निर्देश में रेडी टू ईट फूड का निर्माण मानवस्पर्श रहित, स्वचालित मशीन से होना चाहिए। रेडी टू ईट फूड का निर्माण मानवस्पर्श रहित, स्वचालित मशीन से होना चाहिए। हाइजीनिक फूड का इस्तेमाल हो। फोर्टिफाइड और फाइन मिक्स होना चाहिए। पोषण आहार की गुणवत्ता जांचने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर बनेगी टीम। आहार में निर्धारित मात्रा में कैलोरी, प्रोटीन, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, बी12, सी, और डी जैसे पोषक तत्व होने चाहिए।

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