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 महिला को तीस साल बाद एचसी से मिला न्याय, एसईसीएल को नौकरी के आदेश दिया

बिलासपुर। सालों पहले कोरबा में कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी। इसके बदले में जमीन मालिकों को SECL में नौकरी और मुआवजे का वादा किया गया था। दीपका में भी एक महिला की जमीन अधिग्रहित की गई। उसे मुआवजा भी दे दिया गया परन्तु नौकरी किसी और को दे दी गई । उसने अपने आप को महिला बेटा होने का दावा किया था। पीड़िता ने इसी को लेकर 30 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और उसे आज इंसाफ मिल गया। दीपका गांव की निर्मला तिवारी की 0.21 एकड़ जमीन 1981 में कोयला खदान के लिए अधिग्रहित की गई थी। इसके बदले में एसईसीएल को पुनर्वास नीति के तहत उन्हें मुआवजा और उनके परिवार के सदस्य को नौकरी देनी थी। मुआवजा तो 1985 में ही दे दिया गया, लेकिन नौकरी फर्जी व्यक्ति नंद किशोर जायसवाल को दे दी गई, जिसने खुद को याचिकाकर्ता का बेटा बताकर नौकरी हासिल की थी।
 
  
 





