फुंडरी में इंद्रावती नदी पुल का उद्घाटन के साथ ही अबूझमाड़ का तीसरा द्वार खुल जाएगा – सुंदरराज पी.

जगदलपुर। बस्तर संभाग का घुर नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ लगभग साढ़े चार हजार वर्ग किलोमीटर में विस्तारित यह इलाका नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता रहा है। अबूझमाड़ के इतने बड़े भूभाग के इलाके में घने जंगल, घाटियां तथा पहाड़ नक्सलियों के लिए भौगोलिक परिस्थितियां सबसे उपयुक्त बनाती है, मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खात्मे की तय समय सीमा के निर्धारण के साथ ही नक्सलियों के एक मात्र सुरक्षित ठिकाने को चारो ओर से घेरने की रणनीति के तहत यहां लगातार ऑपरेशन चलाने के साथ ही।
पहुंच विहीन अबूझमाड़ तक अब बारिश में भी आवाजाही हो सकेगी, माड़ तक जाने वाले रास्ते में सबसे बड़ी बाधा अब तक इंद्रावती नदी ही रही है, चाहे दंतेवाड़ा की तरफ से या बीजापुर की तरफ से, दंतेवाड़ा में इंद्रावती में पहले ही दो पुल बनकर तैयार हो गए हैं, एक छिंदनार में और दूसरा करका घाट में, जिससे अबूझमाड़ के 50 से अधिक गांव के लोगों को सुविधा मिल रही है। उसी इंद्रावती में अब तीसरा पुल फुंडऱी के पास बन रहा है, इस पुल का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, 20 प्रतिशत बचा हुआ यह काम भी बारिश तक पूरी हो जाएगी। इस पुल के शुरू होने से 12 ग्राम पंचायत के 50 से अधिक गांव के लोग बीजापुर जाने वाली नेशनल हाइवे 63 से सीधे जुड़ जाएंगे। जिस माड़ तक अभी तक पहुंचना आसान नहीं था वह अब सीधे नेशनल हाइवे से जुड़ जाएगा। जिससे अबूझमाड़ तक वर्ष भर कभी भी पहुंचा जा सकता है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि पुलिस और प्रशासन दोनों के लिए अबूझमाड़ पहले एक अबूझ पहेली बना हुआ था। प्रशासन के लोग अब भी कई इलाकों में सुरक्षा कारणों से नहीं जाते हैं, लेकिन पुलिस के लिए ऐसा नहीं है, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान अबूझमाड़ के हर हिस्से में घुसकर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कर चुके हैं। इनमें कुछ इलाकों में तो तीन-तीन बार सफल ऑपरेशन हुआ है। फुंडरी में इंद्रावती नदी पुल का उद्घाटन के साथ ही अबूझमाड़ का तीसरा द्वार खुल जाएगा। उन्होने बताया कि पुल-पुलिया और सड़क के निर्माण से नक्सलियों विरूद्ध अंदरूनी इलाके में अभियान के लिए सहायक होगा। उन्होने कहा कि इन कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के प्रमुख लाभार्थी अबूझमाड़ की मूल आबादी हैं, जो क्षेत्र में नक्सल गतिविधि के कारण बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित थे, उनको सबसे अधिक लाभ होगा।
गौरतलब है कि नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना अबूझमाड़ का 80 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में आता है। बाकी हिस्सा कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में है।अबूझमाड़ में नक्सलियों के खुफिया ठिकाने से लेकर नक्सलियों की पाठशाला एवं ट्रेनिंग सेंटर बना हुआ है, इसका खुलासा, विगत दिनो हुए सबसे बड़े मुठभेड़ के बाद हुआ था।यहां नक्सलियों द्वारा बोर्ड लगाकर प्रवेश पर पाबंदी लगा रखा है, सुरक्षाबलों के सफल ऑपरेशन में कई बड़े कैडर के नक्सलियों के मारे जाने के बाद सुरक्षाबलों के द्वारा अबूझमाड़ के इलाके को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने की कवायद जारी है।जिसमें सबसे बड़ी रूकावट यहां तक आसानी से पहुंचने के लिए दंतेवाड़ा की तरफ से या बीजापुर की ओर से इंद्रावती नदी पर पुल बन जाने एवं एक अन्य तीसरा पुल फुडरी में बन जाने से अबूझमाड़ अब नक्सलियों के लिए सुरक्षित नहीं रह जायेगा। यह उच्च स्तरीय पुल फुंडरी में इंद्रावती नदी पर 35 करोड़ 60 लाख की लागत से 648 मीटर लंबा पुल बन रहा है, वहीं 208 मीटर नेशनल हाइवे और 242 मीटर बांगोली की तरफ एप्रोच सड़क भी तैयार की जा रही। पुल बनते ही अबूझमाड़ का तीसरा द्वार शुरू हो जाएगा, इससे जवानों की भी अबूझमाड़ में दस्तक बढ़ जाएगी, अभी बारिश में यहां नक्सली ट्रेनिग कैंप चलाते है। बारिश भर इंद्रावती उफान पर रहती है, नक्सली यहां बारिश के 4 महीने स्वतंत्र होकर अपनी गतिविधियां चलाते थे,अब उस पर भी अंकुश लग जाएगा। इसके लिए सड़क पुल-पुलिया का निर्माण अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है, वहीं अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाकों में लगातार सुरक्षा कैंपों की स्थापना के साथ ही अबूझमाड़ के अबूझ पहेली को बूझने के लिए सुरक्षाबलों के जवान अबूझमाड़ के ग्रामीणों से मिलकर समझने मे लगे हुए हैं।
