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नक्सली कमांडर हिड़मा के अंत के साथ बस्तर के शीर्ष नक्सली कैडर का हुआ सफाया

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सुकमा। छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेदुमिल्ली के पास आज मंगलवार काे हुई मुठभेड़ में बस्तर संभाग के एक करोड़ के इनामी खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा उम्र लगभग 45 वर्ष सहित कुल छह नक्सली ढेर हो गये। इसमें बस्तर में नक्सली आतंक का पर्याय रहे नक्सली कमांडर हिड़मा और उसकी पत्नी मदगाम राजे उर्फ रजक्का मारे जाने के बाद बस्तर संभाग से नक्सलियाें के शीर्ष कैडर का लगभग सफाया हाे गया है, इसके साथ ही पूरे बस्तर कानक्सली संगठन अब नेतृत्व विहीन हाे गया है। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा माेस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा के मारे जाने के बाद सुकमा और आस-पास के इलाकों में जश्न का माहौल है, लोगों ने पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई। लंबे वक्त से बस्तर में खौफ का दूसरा नाम बन चुका हिड़मा अब नहीं रहा।
नक्सल विरोधी फारुख अली ने बताया कि हिड़मा पर देश में नक्सल वारदातों की सबसे लंबी सूची दर्ज थी। जिन निर्दोष आदिवासियों और सुरक्षाबलों के जवानों की हत्या हिड़मा के इशारे पर हुई, आज उनकी आत्मा को शांति मिली होगी। सुकमा में आज दिवाली जैसा माहौल है। उन्होंने कहा कि हिड़मा का खात्मा नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।
सुकमा के अधिवक्ता और समाज सेवी कैलाश जैन ने कहा कि हिड़मा सुकमा का सबसे बड़ा आतंकी था। उसने वर्षों तक इस इलाके के विकास को रोक रखा था। आज सुरक्षाबलों की मेहनत रंग लाई है। अब सुकमा शांति और विकास की ओर बढ़ सकेगा।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का निवास माड़वी हिड़मा काे आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर बदरन्ना ने नक्सली संगठन में वर्ष 1996 में भर्ती किया था। नक्सली कमांडर हिड़मा को पिछले एक दशक में दंडकारण्य में सैकड़ाे मौतों के लिए मास्टर माइंड माना जाता है। पहले एरिया कमेटी, DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर) और फिर DKSZC (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) एवं केंद्रीय समिति कैडर के रूप में सक्रिय रहा । बस्तर में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1 का कमांडर भी था । बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता था।
बस्तर में होने वाली सभी नक्सल गतिविधियों पर हिड़मा का नियंत्रण रहता था। वह वर्ष 1996 में नक्सलियों के संगठन से जुड़ा। पिछले कई साल से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी थी। छत्तीसगढ़ में कई नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले इस दुर्दांत नक्सली सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का निवासी था, सुकमा उसका गढ़ था। पिछले कई साल से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी थी। बताते हैं कि हिडमा केवल दसवीं तक पढ़ा था। बताया जाता है कि वह अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता था, जिसमें वह अपने नोट्स लिखता रहता था। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों के बलीदान में हिड़मा का नाम सामने आया था। इसके बाद वर्ष 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिडमा की भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। वर्ष 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान बलीदान हुए थे। वर्ष 2021 सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ में 22 सुरक्षा कर्मी बलीदान हुए थे, जिसमें भी हिडमा शामिल था।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने एक सप्ताह पहले हिड़मा के गांव पूवर्ती पहुंचकर उसकी मां से मुलाकात की थी। हिड़मा की मां ने भी हिड़मा से हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की थी। लेकिन उसने इसे भी नकार दिया, परिणाम स्वरूप आज आतंक का पर्याय रहे नक्सली कमांडर हिड़मा के अंत हाे गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट कहा था कि सरकार की प्राथमिकता मार्च 2026 तक बस्तर और आस-पास के क्षेत्रों से माओवादी हिंसा का पूर्ण उन्मूलन है।

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