संसार में जो जन्म लिया है उसकी मृत्यु तय है – रमेश भाई ओझा
रायपुर। मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, इस संसार में जो जन्म लिया है उसकी मृत्यु तय है। जन्म और मृत्यु की पीड़ा हर प्राणी को होती है। मरने से सारा जग डरा हुआ है। लेकिन संसार की इस भय को मिटाने वाली है श्रीमद्भागवत कथा। मोह को मिटाने वाली है यह कथा। सत्संग की प्राप्ति होती है तब विवेकरूपी सूर्य का उदय होता है और जीवन से अंधकार मिट जाता है। तब वो मरना, मरना नहीं वह तो मालिक से मिलाता है। जीव के पुरुषार्थ से कुछ नहीं होता,जो भी होता है प्रभु की कृपा से होता है।
जैनम मानस भवन में श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन श्री रमेशभाई ओझा ने बताया कि हर प्राणी मृत्यु से भागता है, मरना नहीं चाहता। बच्चे को जन्म देते समय प्रसव पीड़ा मां को होती है, पर बच्चे को देखकर वातसल्य में वह दूर हो जाती है। मृत्यु की पीड़ा तो सुना जाता है अनुभव नहीं क्योकि यह तो मौत आने पर ही होगी। उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस प्रकार एक किराये के मकान में रहते 90 साल बीत गए हो जहां से दादा-पिता को विदा किया हो यदि कोर्ट के फैसले के बाद मकान मालिक कह दे कि मकान खाली करो तो उस पीड़ा केे अनुभव का अंदाजा लगा सकते हैं। ठीक उसी प्रकार यह शरीर भी किराये का मकान है जिसे हमारे मालिक ने दिया है। शरीर में जितनी आशक्ति बनी हुई है,सब के प्रति एक लगाव रहता है,छोडकर जाने पर कष्ट होता है। शरीररूपी मुसाफिर अपने लक्ष्य को भूल जाता है। जब सत्संग, श्रीरामकथा, गीता के प्रवचन में जाते हैं तब यह जागृत होता है। पवित्र मन से भागवत सुनने से भगवत प्रेम का उदय हो जाता है। जो स्वार्थरहित, निडररहित प्रेम बना देता है। सच्चे प्रेमी की यही पहचान है कि वह मौत से भी नहीं डरता है। अपने सुख की चिंता करना वासना है,लेकिन प्रेम में तो वह प्रियतम के सुख की चिंता करता है। प्रियतम से तुम सुख पाते हो तो वह भी भोग है। प्रेम दिए की लौ है और वासना धुंआ।
* विचारों की अभिव्यक्ति को प्रकट करती है भाषा
कल्चर लोगों की भाषा है संस्कृत,शालीन व्यक्तित्व वाले हैं उनकी भाषा है संस्कृत। भाषा विचारों की अभिव्यक्ति को प्रकट करता है। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाओ जरूर पर संस्कृत का कुछ श्लोक भी तो सिखाओं ताकि गर्व से कह सको हम हिंदू है-हम सनातनी हैं। अंधे भक्त होकर वेस्टर्न कल्चर का अनुसरण कर रहे हैं, लेकिन शायद ये नहीं मालूम कि यूरोप-लंदन में भी कई ऐसे स्कूल हैं जहां संस्कृत की क्लास में श्लोक सिखाये जाते हैं। उपनिषेदों के मंत्र बोलते हैं। इसलिए सब दिशाओं के जो सुविचार हो उसे प्राप्त करें, अपनी मातृभाषा पर गौरव करो। हमारा सनातन धर्म जीवंत है, था और हमेशा रहेगा।
* खत्म हो रहा है समाज का ताना-बाना
कथा सत्संग के दौरान श्री ओझा ने बताया कि क्या हो गया है हमारे रिश्तों को, कि ये रिश्ते बोझ बनते जा रहे हैं। स्वार्थ और केवल स्वार्थ। खत्म हो रहा है समाज का ताना-बाना। सिवाय पीड़ा के क्या रह गया है? समझदारी, सहनशीलता खत्म हो जाने से आज दांपत्य जीवन समाप्त हो रहे हैं। लेकिन सीता के समर्पण और सती के सतीत्व से सीखें क्या होते हैं रिश्ते।
* प्रभु के द्वारा सिलेक्टेड हैं इसलिए श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का अवसर मिल रहा
कथा सत्संग में आज शद्दाणी दरबार के प्रमुख संत युधिष्ठिर, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा, श्रीचंद सुंदरानी पहुंचे थे। जैसे कि कथावाचक रमेशभाई ओझा ने कथा के दौरान कहा कि इलेक्टेड और सिलेक्टेड दो प्रकार के लोग होते हैं, हम लोग प्रभु के द्वारा सिलेक्टेड हैं इसलिए श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का यह अवसर मिल रहा है।
* चंपारण्य पहुंचकर की पूजा-अर्चना
इससे पूर्व आज सुबह प्रभु वल्लाभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण्य पहुंचकर श्री रमेश भाई ओझा ने चंपेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की। मंदिर ट्रस्ट कमेटी की ओर से उनका स्वागत किया गया। भाई श्री के आने की खबर पर आसपास के श्रद्धालुजन काफी संख्या में पहुंच गए थे उन्होने आर्शिवाद प्रदान किया।