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वनमंत्री के गृह क्षेत्र में प्रस्तावित चिडिय़ाघर का ग्रामीणों ने किया विरोध, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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00 पहले बांध की वजह से किया विस्थापित, अब चिडिय़ाघर के नाम पर पुनर्वास की जमीन छीनने का लगाया आरोप
जगदलपुर। वन मंत्री केदार कश्यप के गृह क्षेत्र भानपुरी में प्रस्तावित चिडिय़ाघर (अभ्यारण) का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। सालेमेटा, खडग़ा, छुरावण्ड, जामगांव और कमेला पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों का आरोप है कि पहले उन्हें कोसारटेडा बांध के चलते विस्थापित किया गया था, और अब चिडिय़ाघर के नाम पर उनकी पुनर्वास की गई जमीन भी छीनी जा रही है। ग्रामीणों ने राज्यपाल के नाम बस्तर जिले के कलेक्टर को आज शुक्रवार को ज्ञापन सौंपते हुए परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग करते हुए सैकड़ो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया है। विवाद के बीच जिला प्रशासन ने मामले की जांच की बात कही है, इधर सरकार कोसारटेडा क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना के तहत रिसॉर्ट और चिडिय़ाघर बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन ग्रामीण इसे अपनी आजीविका के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सन 1980 में सालेमेटा में बने कोसारटेडा बांध के चलते उन्हें उनके जमीन से बेदखल कर दूसरी जगह विस्थापित किया गया है, अब चिडिय़ा घर बनाने के नाम पर उस जमीन से भी बेदखल करने की योजना सरकार बना रही है, चिडिय़ाघर के बनाए जाने से किसानों की खेती-बाड़ी की जमीन छीन ली जाएगी, जिसे खुद सरकार ने विस्थापन के दौरान दिया था। स्वयं सरकार ने उन्हें वन अधिकार पट्टा भी दिया है, ऐसे में सभी ग्रामीणों ने तुरंत सर्वे का कार्य रुकवा कर अभ्यारण के लिए दूसरी जगह ले जाने की मांग बस्तर कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपकर की है।
चिडिय़ाघर प्रोजेक्ट को निरस्त करने की मांग इन प्रभावित किसानों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे नारायणपुर के पूर्व विधायक चंदन कश्यप का कहना है कि भानपुरी वन परिक्षेत्र के सालेमेटा खडग़ा, छुरावण्ड, जामगांव और कमेला पंचायत के निवासियों की कृषि भूमि कोसारटेडा बांध के डुबान क्षेत्र में आने से $करीब 940 परिवारों को विस्थापन किया गया। इन ग्रामीणों के द्वारा वन अधिकार पट्टा के तहत दिए गए पट्टा में बकायदा खेती किसानी की जा रही है, और खेती किसानी उनकी आय का मुख्य स्रोत है। पर्यटन स्थल के रूप में चिडिय़ाघर बनाने के लिए करीब 350 हैक्टेयर में सर्वे का काम किया जा रहा है, और जहां सर्वे किया जा रहा है उसी जमीन पर ग्रामीण किसान पिछले 45 सालों से खेती किसानी कर रहे हैं।अब इस जमीन से भी ग्रामीणों को बेदखल किया जा रहा है,और उन्हें जमीन के बदले रोजगार देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। चंदन कश्यप ने कहा कि आदिवासियों के ऐसे सैकड़ो परिवार हैं जो चिडिय़ाघर बनाए जाने से अपने जमीन से बेदखल हो जाएंगे, ऐसे में उन्होंने इन किसानों के साथ जगदलपुर मुख्यालय पहुंचकर राज्यपाल के नाम बस्तर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है और तत्काल इस प्रोजेक्ट को निरस्त करने की मांग की है।

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