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खनन परियोजनाओं से नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टोरेट घेरा, सौंपा ज्ञापन

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खैरागढ़। घोठिया के आश्रित ग्राम खुर्सीपार में तीन खनन परियोजनाओं पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। बीते दिन शाम को बड़ी संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर कहा कि अगर इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई तो वे कलेक्टर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। ग्रामीणों का कहना है कि पहले से ही खनन ने उनकी खेती, जलस्रोत और हवा को बर्बाद कर दिया है। अब नई खदानें उनके बच्चों की सांसों और भविष्य को भी छीन लेंगी।
23 जुलाई को खुर्सीपार में हुई जनसुनवाई को ग्रामीणों ने दिखावा बताया। उन्होंनेआरोप लगाया है कि खनन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आपत्तियों और सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और कार्यक्रम खत्म होते ही महंगी गाड़ियों में बैठकर चले गए। ग्रामीणों का कहना है कि खनन परियोजनाओं को लेकर पहले से ही सब तय है। जनसुनवाई से नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। उनका कहना है कि प्रस्तावित खनन परियोजनाएं गांव के जल, जमीन और पर्यावरण के लिए खतरा साबित होंगी। इन परियोजनाओं के कारण खेतों में बंजरपन बढ़ेगा, जलस्तर गिरेगा और इलाके में धूल का जहर फैलेगा, जिससे गांव के लोग बीमारियों की चपेट में आएंगे।
ग्रामीणों ने कहा कि खदानों और क्रेशर की धूल में मौजूद महीन कण और सिलिका सांस के जरिए शरीर में जाकर फेफड़ों की बीमारी, सिलिकोसिस, ब्रोंकाइटिस, आंखों की जलन, त्वचा रोग, दिल की बीमारियां और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को जन्म देते हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ खनन परियोजनाओं का विरोध नहीं बल्कि उनके गांव और बच्चों के भविष्य की सुरक्षा की लड़ाई है। यदि प्रशासन ने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया तो उग्र आंदोलन किया जायेगा। ग्रामीणों ने कहा कि पहले ही जिले में तीस से अधिक खदानें संचालित हैं। इससे पर्यावरण और लोगों की सेहत पर असर पड़ा है। इस मामले में खनिज विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

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