भागीरथपुरा मामले में दो जनहित याचिकाएं, प्रशासन पर सीधे सवाल

देश के सबसे स्वच्छ शहर का दावा करने वाले इंदौर में भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी से फैली बीमारी और मौतों के आरोपों ने अब कानूनी रूप से बड़ा मोड़ ले लिया है। इस गंभीर मामले को लेकर हाई कोर्ट में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जिससे प्रशासन और नगर निगम की भूमिका पर सीधे सवाल खड़े हो गए हैं। पहली जनहित याचिका हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रितेश ईनाणी द्वारा दायर की गई है, जिसे डबल बेंच ने गंभीरता से लेते हुए आज दोपहर ढाई बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। वहीं दूसरी जनहित याचिका अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी के माध्यम से पूर्व पार्षद महेश गर्ग और प्रमोद द्विवेदी ने दायर की है, जिसमें मामले की एक साथ सुनवाई की मांग की गई है। दोनों याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि दूषित पानी की आपूर्ति के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे दर्जनों लोग बीमार पड़े और कई मौतों के दावे सामने आए। याचिकाओं में दोषी अधिकारियों और एजेंसियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने, निष्पक्ष जांच कराने और पीड़ितों को मुफ्त व बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनता की जान से सीधा खिलवाड़ है। अब हाई कोर्ट की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि भागीरथपुरा पानी कांड में जिम्मेदारों की जवाबदेही कैसे तय की जाएगी।







