शासन-प्रशासन की अनदेखी के बाद ग्रामीण स्वयं बना रहे सड़क

बीजापुर। जिले के भैरमगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत केशकुतुल के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन की अनदेखी से परेशान होकर माउंटेन मैन की राह पर चलकर ग्रामीणों ने अपने स्वयं के संसाधनों से स्वयं ही सड़क बनाने की पहल शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत केशकुतुल के टोटा पारा से सुराखाड़ा पारा तक कुल 8 किलोमीटर लंबी इस सड़क को बनाने का सपना यहां के लगभग 70 परिवारों ने देखा और उसे सच करने की जिम्मेदारी भी स्वयं ही उठाई। ग्रामीणों ने अपने घरों में संग्रहित जीवन यापन की बचत राशि से सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया है। हर परिवार ने अपनी क्षमता अनुसार आर्थिक योगदान दिया। एक तरह से यह सड़क केवल मिट्टी, पत्थर और श्रम से नहीं, बल्कि आत्मबल, उम्मीद और सामाजिक एकजुटता से बन रही है। यह एक ग्रामीण “जन आंदोलन” की तरह है, जिसमें हर उम्र, हर वर्ग के ग्रामीण अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
गौरतलब है कि ग्रामीणों ने पहले ग्राम पंचायत की ग्राम सभा में प्रस्ताव पास कर जनपद पंचायत में सड़क निर्माण की मांग रखी थी। इसके अलावा हाल ही में आयोजित सुशासन त्योहार में भी लिखित आवेदन दिया गया। बावजूद इसके किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिस गांव के लोग यह सड़क बना रहे हैं, वह भैरमगढ़ ब्लॉक मुख्यालय से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बावजूद वहां पक्की सड़क नहीं बन सकी। केशकुतुल के ग्रामीणों का यह कदम ना सिर्फ पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह सिस्टम को आइना दिखाने वाला भी है। यह “माउंटेन मैन” दशरथ मांझी की याद दिलाता है, जिन्होंने अकेले पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था। यहां सामूहिक प्रयासों से गांव को सड़क से जोडऩे का संकल्प लिया जा रहा है। अब वक्त है कि शासन इस प्रयास का संज्ञान ले और ग्रामीणों की इस आत्मनिर्भरता को सम्मान देकर उचित सहायता प्रदान करे। सड़क बनना केवल एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि यह जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य से सीधा जुड़ा है।
