जनजातीय विवाद शव दफन विवाद पर प्रशासन पर सवाल

ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि शव का अंतिम संस्कार जनजातीय परंपरा और सामाजिक नियमों के अनुसार होना चाहिए, लेकिन सरपंच एवं परिवार ने धमकी देते हुए निजी भूमि में ईसाई रीति से दफन करने की घोषणा की। पुलिस के पहुंचने के बावजूद कब्र खोदने की प्रक्रिया जारी रही। इसके बाद तहसीलदार और अन्य अधिकारी मौके पर आए, लेकिन आवेदन लेने से इंकार कर दिया। 17 दिसंबर को कब्र स्थल पर पक्का चबूतरा बनाया गया और बाहरी लोगों ने निहत्थे ग्रामीणों पर हमला कर लगभग 25 लोग घायल हुए, जिनमें 11 गंभीर रूप से थे।
18 दिसंबर को स्थिति और गंभीर हो गई। भीम आर्मी से जुड़े व्हाट्सएप संदेशों और वीडियो के माध्यम से भीड़ जुटाई गई, और पुलिस ने निवारक कार्रवाई नहीं की। अंततः शव को दबाव में निकाला गया, लेकिन पुलिस ने बल प्रयोग सर्व समाज के ग्रामीणों पर किया, जिससे कई लोग घायल हुए। इस पूरे घटनाक्रम में पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में बिना ग्राम सभा की अनुमति शव दफन, प्रशासनिक उदासीनता और संगठित हिंसा के बावजूद आरोपियों पर कार्रवाई न होना गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
सर्व समाज ने उच्च स्तरीय, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि जनजातीय आस्था और परंपरा पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो। साथ ही पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये की भी जांच की जाए। संगठन ने चेताया कि यदि शासन-प्रशासन उनके अधिकार और संस्कृति की रक्षा करने में असफल रहता है, तो समाज अपने अधिकारों की लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक संघर्ष करने के लिए बाध्य होगा।







