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बृजमोहन का कद घटाने के लिए तोखन को मंत्री बनाया : भूपेश बघेल

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रायपुर । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के 10 साल के कार्यकाल में भाजपा नेताओं की लगातार अवमानना हुई है। अमर अग्रवाल और धरमलाल कौशिक को पहले ही किनारे कर दिया गया था, अब तोखन साहू को केंद्रीय मंत्री बनाकर बृजमोहन अग्रवाल घटाने की कोशिश की गई है।

निजी प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे बघेल ने छत्तीसगढ़ भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि बलौदाबाजार की घटना भाजपा प्रायोजित थी। कांग्रेस के विधायक देवेंद्र यादव वहां जरूर थे लेकिन 10 मिनट में ही लौट गए थे। वे मंच पर भी नहीं गए। उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया जा रहा है। कोई ऐसा कह रहा है तो उसका एक भी वीडियो फुटेज दिखा दे। इस घटना से छत्तीसगढ़ के आम आदमी में डर समा गया है। सरकार से उनका भरोसा उठ गया है।

कई सवालों का जवाब सामने आना चाहिए, जिससे मामला साफ हो। धरना प्रदर्शन को कलेक्टर से अनुमति किसने दिलाई? रैली में आने वाले 15 हजार लोगों के लिए पंडाल, माइक, भोजन इत्यादि की व्यवस्था किसने की? बघेल ने कहा कि नागपुर से 250 से अधिक लोगों के आने की बात कही जा रही है। वह कौन लोग थे और सरकार ने उन पर नजर क्यों नहीं रखी? भीड़ में जब लाठी डंडा लेकर लोग पहुंचे तब प्रशासन ने उनको रोकने के लिए क्या किया?

बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को विभागों की समीक्षा करने के बजाय अपनी पूरी सरकार का ही अवलोकन करना चाहिए। यह सरकार 6 महीने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है। कलेक्टर एसपी के ऑफिस जला दिए जाते हैं, हत्याओं का नया रिकॉर्ड बन रहा है।

बघेल ने दावा किया कि एनडीए गठबंधन की सरकार 6 महीने से अधिक नहीं चलने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन के दौरान अजीत पवार और शिंदे गुट के बीच घमासान मचा हुआ है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश और आरएसएस के विचारक इंद्रेश कुमार के बयानों से स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी बेहद कमजोर हो चुके हैं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलने के लिए योगी आदित्यनाथ का जाना भी एक बड़ी घटना है। जब से भाजपा के अल्प बहुमत की सरकार बनी है, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बीच भी रिश्तों में खटास आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल कल बिलासपुर के अलावा बेलगहना सिद्ध बाबा आश्रम भी गए। इसके बाद वे मरवाही तथा अमरकंटक भी गए।

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