शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के पराक्रम का किया गया स्मरण

रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में रविवार शाम को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान के स्मरण में शहीद दिवस मनाया गया। तीनों वीर बलिदानियों की तस्वीर पर विशेष अतिथि आनंद मोडक, मंडल अध्यक्ष अजय मधुकर काले, सचिव चेतन दंडवते समेत कार्यकारिणी सदस्यों, पदाधिकारियों ने गुलाल लगाकर माल्यार्पण किया।
संक्षिप्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंडल अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने कहा कि भगत सिंह, श्रीराम हरि राजगुरु और सुखदेव थापर ने आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को अपनी शहादत से जो गति प्रदान की, वह देश की आजादी के बाद ही थमी। तीनों बलिदानियों ने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल्स के विरोध में सेंट्रल असेंबली में आठ अप्रैल 1929 को बम फेंका था। बम फेंकने के बाद इन युवाओं के पास भागने का समय था, लेकिन उन्होंने न केवल सहर्ष गिरफ्तारी दी, बल्कि भारत देश की आजादी के नारों के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर झूल गए। तीनों ही बलिदानियों का एकमात्र उद्देश्य यह था कि इस घटना के माध्यम से पूरा देश आजादी के आंदोलन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ जागरूक होकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खड़ा हो जाए।
दिव्यांग बालिका विकास गृह के प्रभारी प्रसन्न निमोणकर ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि पराधीन भारत में भगत सिंह एक बात हमेशा कहा करते थे कि जिंदगी अपने कंधों पर जी जाती है। दूसरों के कंधों पर तो जनाजे जाते हैं। वे मानते थे कि देश को आजाद करना है, तो हमें अपने संघर्षों से ही करना होगा। किसी दूसरे से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती।
