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दो दशकों से घर के एक छोटे से कमरे में बंद लीशा काे समाज कल्याण विभाग ने दिया संरक्षण

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जगदलपुर। जिले के बकावंड विकासखंड के आवास पारा निवासी लीशा मौर्य, जो लगभग दो दशकों से घर के एक छोटे से कमरे में अकेले जीवन जीने को मजबूर थीं, अब समाज कल्याण विभाग की देख-रेख में सुरक्षित जीवन बिता रही हैं। लीशा के नाना रतीराम द्वारा अगस्त 2024 में जिला प्रशासन एवं समाज कल्याण विभाग के समक्ष उनकी स्थिति बताई गई, जिसके बाद विभाग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए पूरी प्रक्रिया को संवेदनशीलता और तत्परता के साथ आगे बढ़ाया।
नाना रतीराम ने समाज कल्याण विभाग को बताया कि लीशा की माता का निधन कई वर्ष पूर्व हुआ। पिता दूसरी शादी कर अलग गांव में रहते हैं।बचपन में स्कूल जाते समय मिली धमकी के बाद लीशा मानसिक रूप से असहज रहने लगीं। नाना खेती-बारी में व्यस्त रहते थे, इसलिए सुरक्षा के चलते उन्हें घर के सामने बने छोटे कमरे में रखा जाता था । समय के साथ लीशा की दृष्टि भी चली गई, और इसी स्थिति में लगभग 20 वर्षों का समय बीता।
लीशा की भोजन, कपड़े और दैनिक जरूरतों की पूर्ति नाना के माध्यम से होती थी, परंतु देखभाल का स्थायी विकल्प उपलब्ध नहीं था। नाना रतीराम से जानकारी मिलने के अगले ही दिन समाज कल्याण विभाग की टीम लीशा के घर पहुंची। टीम ने लीशा को कमरे से निकालकर साफ-सफाई करवाई । अगले दिन चिकित्सा महाविद्यालय डिमरापाल में स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार की व्यवस्था की गई। इसके बाद बस्तर दिव्यांग सेवा समिति द्वारा संचालित आशीर्वाद घरौंदा गृह, ग्राम कोलचूर में लीशा को सुरक्षित रूप से प्रवेशित कराया गया । संस्था में रहने के दौरान लीशा का नेत्र उपचार और ऑपरेशन भी चिकित्सा महाविद्यालय में कराया गया, लेकिन दृष्टि वापस नहीं आ सकी।
13 जुलाई 2025 को नाना रतीराम के निधन के बाद लीशा के लिए संस्था ही स्थायी निवास बन गया है। संस्था प्रबंधन के अनुसार:-लीशा वर्तमान में स्वस्थ हैं। वे दैनिक क्रियाकलाप स्वयं अपने स्थान पर कर लेती हैं। आवाज देने पर प्रतिक्रिया देती हैं, हल्की-फुल्की बातचीत भी करती हैं। अन्य सदस्यों के साथ भी उनका नियमित संवाद बना हुआ है। समाज कल्याण विभाग की समय पर कार्रवाई ने लीशा को असुरक्षा, उपेक्षा और एकाकी जीवन से बाहर निकालकर एक सुरक्षित और मानवीय वातावरण में नया जीवन प्रदान किया है।

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