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पुलिस के आला अधिकारियों की चुप्पी ने सबसे बड़े नक्सली विरोधी अभियान को बनाया रहस्यमय

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बीजापुर। बीजापुर जिले और तेलंगाना की सीमा पर मौजूद करेंगुट्टा के पहाड़ में नक्सलियों के बड़े कैडरों की मौजूदगी की सूचना के बाद पिछले 6 दिनों से जारी सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों के हजारों जवानों ने इलाके को चारों तरफ से घेरा हुआ है। 6 दिनों से जारी इस सबसे बड़े नक्सली विरोधी अभियान में अब तक की उपलब्धि के नाम पर तीन महिला वर्दीधरी नक्सलियों के बरामद शव जिसकी शिनाख्त नही हो पाई है, एक अंधेरी गुफा जिसे नक्सलियों का ठिकाना बताकर पीठ थपथई जा रही है और करेंगुट्टा का वह काली पहाड़ी जिसमें नक्सलियों के बड़े कैडरों के ठिकाने होने के हवा-हवाई दावे, की कहानी में अब तक नक्सलियों के ठिकाने का अधिकारिक रूप से इस पहाड़ी पर कोई अवशेष तक सामने नही आने से तथा पुलिस के आला अधिकारियों की चुप्पी इस अभियान को रहस्यमय बना रही है।
इस अभियान को 140 घंटे से अधिक हो चुके हैं, तीन नक्सलियों के मारे जाने के अलावा कोई खास हलचल नक्सलियों की ओर से नहीं दिख रही है, जो आईईडी विस्फोट हुए, वह पहाड़ के निचले हिस्से में लगाए गए थे, जिसमें एक जवान के घायल होने की अधिकारिक पुष्टि अब तक नही हुई । अब चर्चा का विषय है, कि नक्सलियों को इस खुफिया अभियान की जानकारी मिडिया से पहले ही नक्सलियों तक पहुंचगई, और नक्सली पहले ही इलाके से निकल गए हैं, इसलिए अब पुलिस फोर्स को धीरे-धीरे वापस बुलाया जा रहा है ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब दंतेवाड़ा से आए डीआरजी जवानों को वापस बुला लिया गया है। शनिवार को 60 बाइकों पर सवार होकर जवान वापस लौटे हैं । बावजूद इसके सुरक्षाबलों के जवान अब भी करेंगुट्टा के पहाड़ में मौजूद हैं । विदित हो कि जब से करेंगुट्टा के पहाड़ में अभियान की शुरूआत हुई है, बस्तर संभाग के आला अधिकारियों ने इस पर अपनी चुप्पी बनाई हुई है, मोबाईल पर संपर्क करने पर फोन रीसिव तक नही किया जा रहा है।

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