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जिन हाथों में कभी बंदूक थीं, वही हाथ अब बनाएँगे गरीबों का आशियाना, 30 युवाओं ने पूरा किया राजमिस्त्री प्रशिक्षण

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रायपुर। बस्तर संभाग के दुर्गम माड़ क्षेत्रों में कभी बंदूक थामे भय और हिंसा का पर्याय बने युवक अब समाज निर्माण की नई इबारत लिख रहे हैं। शासन की सतत पहल और पुनर्वास के प्रयासों के चलते नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर भटके युवा अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं। ऐसे ही बीजापुर के 30 युवाओं ने राजमिस्त्री प्रशिक्षण द्वारा भवन निर्माण की कला को सफलतापूर्वक सीख लिया है। यह परिवर्तन न केवल क्षेत्र में शांति का संकेत है, बल्कि आत्मनिर्भरता और उम्मीद की नयी शुरुआत भी है।

जिन हाथों में कभी बंदूक थीं
अब गरीबों के लिए बनेंगे आशियाने बनाएंगे युवा
राजमिस्त्री कौशल हासिल करने के बाद ये युवा अब अपने हुनर का उपयोग जरूरतमंद और गरीब परिवारों के लिए सुरक्षित आवास निर्माण में करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माणाधीन आवासों में भी ये प्रशिक्षित युवा योगदान देंगे, जिससे जिले में आवास निर्माण की गति और गुणवत्ता दोनों सुधरेंगी।
नींव से लेकर फिनिशिंग तक निर्माण का युवाओं को मिला प्रशिक्षण
प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को नींव एवं दीवार निर्माण,प्लास्टरिंग,माप-जोख,निर्माण में सुरक्षा मानक,आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक उपयोग जैसे महत्वपूर्ण कौशल सिखाए गए। सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूर्ण होने पर प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा, जिससे वे भविष्य में सरकारी एवं निजी निर्माण कार्यों में रोजगार पा सकें।

पुनर्वास की नई मिसाल, मुख्यधारा में लौटे 30 युवाओं ने पूरा किया राजमिस्त्री प्रशिक्षण
उत्साह से भरे युवा अब समाज में हो रहे शामिल
इस संबंध में आर-सेटी प्रशिक्षकों ने बताया कि इन युवाओं ने सीखने और काम करने में अद्भुत उत्साह दिखाया। यह परिवर्तन प्रेरणादायक है। जो युवा कभी समाज से दूर थे, वे अब समाज को संवारने का कार्य कर रहे हैं
बस्तर में पुनर्वास मॉडल की नई कहानी
यह पहल जिले में लौट रहे युवाओं के सफल पुनर्वास का सशक्त उदाहरण है, जहाँ कौशल विकास के साथ-साथ उन्हें सम्मानजनक आजीविका का अवसर दिया जा रहा है। इन युवाओं का यह बदलाव आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक है कि हिंसा नहीं, कौशल और विकास ही प्रगति का रास्ता है।

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