कृषि की समृद्धि से निकलेगा छत्तीसगढ़ की खुशहाली का रास्ता
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करके एक ओर जहां अपना संकल्प पूरा किया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी कर एक नया रिकार्ड कायम किया है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 32 हजार करोड़ रूपए का भुगतान एवं किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके यह बता दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा।
देश में यह गौरव की बात है कि सेंट्रल पूल में धान के योगदानकर्ता राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला तथा धान का सर्वाधिक 3100 रूपए प्रति क्विंटल के मान से मूल्य देने वाला छत्तीसगढ़, देश का प्रथम राज्य है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में सर्वाधिक 24.75 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने वाला छत्तीसगढ़, देश में प्रथम स्थान पर रहा है। विपणन वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने मोदी जी की गारंटी के अनुरूप किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की गई चालू खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में राज्य के किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है। देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने एक साल की अवधि में राज्य के किसानों के हित में लिए गए फैसलों से खेती-किसानी को नया सम्बल मिला है। किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीेसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 3 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। छत्तीसगढ़ में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋण 01 अप्रैल 2014 से उपलब्ध कराया जा रहा है। ऋण की अधिकतम सीमा 5 लाख रूपए तक है। फसल ऋण में नगद एवं वस्तु का अनुपात 60 अनुपात 40 है। सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए खरीफ वर्ष 2024 में 15.21 लाख किसानों को 6912 करोड़ रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर वितरित किया गया। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ फसलों का सामान्य क्षेत्र 48.08 लाख हेक्टेयर तथा रबी फसलों का क्षेत्र 18.06 लाख हेक्टेयर है। वर्तमान में प्रदेश में विभिन्न सिंचाई स्रोतों से खरीफ मौसम में 16.04 लाख हेक्टेयर के लिये सिंचाई सुविधा उपलब्ध है जो निरा फसली क्षेत्र का 35 प्रतिशत है। राज्य में कुल 40.11 लाख कृषक परिवार है जिसमें से 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं। प्रदेश में 33 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति एवं 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति के कृषक परिवार हैं। खरीफ उत्पादन में वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में कुल अनाज में 3 प्रतिशत, दलहन में 9 प्रतिशत एवं तिलहन में एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत सरकार द्वारा जारी कृषि सांख्यिकी सारणी वर्ष 2022 के अनुसार धान फसल के क्षेत्राच्छादन में छत्तीसगढ़ राज्य देश में चौंथे, धान फसल के कुल उत्पादन में छत्तीसगढ़ राज्य देश में 7वें तथा धान फसल के प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में छत्तीसगढ़ राज्य देश में 11वें स्थान पर है। खाद्यान्न फसलों के क्षेत्राच्छादन में छत्तीसगढ़ देश में 10वें, उत्पादन में 15वें तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में 16वें स्थान पर हैं। चना फसल क्षेत्राच्छादन में छत्तीसगढ़ देश में 8वें, कुल उत्पादन में 9वें तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में 8वें स्थान पर है।