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शादी के वादे पर दुष्कर्म के आरोपी को हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त, पीड़िता की शिकायत बेबुनियाद

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रायगढ़। जिले में एक शादी के झूठे वादे पर दुष्कर्म करने के आरोपी को उच्च न्यायालय ने दोषमुक्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। राज्य शासन की अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़िता की आयु को 18 वर्ष से कम साबित नहीं कर पाने के कारण आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पास्को एक्ट के तहत कार्रवाई करने के आदेश को रद्द कर दिया।
मामला 10 फरवरी 2016 का है, जब रायगढ़ जिले की पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 1 फरवरी 2016 से वह आरोपी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। इस दौरान आरोपी ने शादी का वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। जब पीड़िता ने शादी करने की बात की, तो आरोपी ने इंकार कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने 2016 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
पुलिस ने आरोपों के आधार पर आरोपी के खिलाफ धारा 376 और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन पीड़िता के चिकित्सकीय परीक्षण में कोई शारीरिक शोषण के निशान नहीं पाए गए। साथ ही पीड़िता के शरीर पर कोई चोट का निशान भी नहीं था। इसके अतिरिक्त, पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम होने की पुष्टि भी नहीं हो पाई, जिसके आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था।
स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य शासन ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य शासन की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम साबित नहीं हो पाई, जिससे आरोपी को दोषी ठहराना संभव नहीं था। इस फैसले ने विवाह का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपों पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जिसमें आरोपियों को दोषमुक्त करने का निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की एक अहम मिसाल बन गया है।

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