बरौदा सोसायटी को कंगाल बनाने पर तुले हैं शासन और किसान
आरंग। जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के मंदिर हसौद शाखा के अधीन आने वाले बरौदा सोसायटी के माली हालत की फिक्र न शासन को है और न ही यहां धान बेचने वाले किसानों को। इन दोनों के रुख से लगता है कि वे मिलकर सोसायटी को कंगाल बनाने में तुले हैं। इस सोसायटी के धान उपार्जन केन्द्र में धान बेचने के लिये तकरीबन 160 किसान पंजीकृत हैं जिनसे केवल लगभग 8 हजार क्विंटल धान खरीदी किया जाना है पर धान खरीदी शुरू होने के 64 दिनों बाद भी यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है और इस पर तुर्रा यह कि प्रतिदिन धान खरीदी की सीमा तय कर दिये जाने की वजह से तीन टोकन का उपयोग कर लेने के बाद भी एक किसान शेष धान को बेचने टोकन जारी करने की मांग को ले खाद्य विभाग का चक्कर काट रहा है।
इस धान उपार्जन केन्द्र का दौरा करने के बाद किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेंद्र शर्मा ने जानकारी दी है कि सोसायटी के अंतर्गत 8 ग्राम बरौदा, राखी, चीचा, कयाबांधा, झांझ, नवागांव व खपरी आता है। नया राजधानी के नाम पर इन ग्रामों के खेती की अधिकतर भूमि को शासन द्वारा कब्जियाने के कारण कभी गुलजार रहने वाले इस समिति में इस खरीदी सत्र में धान बेचने महज 160 के आसपास किसान पंजीकृत हैं और पात्रतानुसार इनसे लगभग 8 हजार क्विंटल धान खरीदी किया जाना है पर 64 दिनों में महज 6 हजार क्विंटल धान की खरीदी ही हो पायी है। शासन द्वारा प्रतिदिन धान खरीदी की सीमा 181 क्विंटल कर दिये जाने व इसमें से महज 30 प्रतिशत ही बड़े किसान का खरीदने की नीति के चलते एक बड़े किसान द्वारा निर्धारित 3 टोकनों का उपयोग कर लेने के बाद भी शेष बचे करीबन 5 सौ क्विंटल धान बेचना बाकी रह गया है जिस हेतु समिति द्वारा खाद्य विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है और किसान खाद्य विभाग का चक्कर काट रहा है।
इस समिति के विशेष परिस्थितियों को अनदेखा कर प्रतिदिन धान खरीदी के लक्ष्य को न बढ़ाये जाने व किसानों द्वारा एकमत हो स्वमेव दिन नियत कर एकसाथ धान न लाने के साथ – साथ परिवहन न होने की वजह से पूरे ढाई माह खरीदी केंद्र खुले रखने की मजबूरी के चलते समिति को अनावश्यक खर्च वहन करने मजबूर होने की जानकारी देते हुये शासन से प्रतिदिन धान खरीदी का लक्ष्य शिथिल करने, परिवहन हेतु शेष बचे धान का प्राथमिकता के आधार पर अतिशीघ्र उठाव करने व किसानों को शासन के नियमों के चलते शेष बचे धान की बिक्री में आ रही दिक्कतों को दूर करने की मांग की है। साथ ही शेष बचे किसानों को एकराय हो दिन निर्धारित कर एकसाथ धान उपार्जन केन्द्र में लाने का आग्रह किया है ताकि समिति को और अधिक आर्थिक क्षति न पहुंचे।