ChhattisgarhRegion

वनांचल की बुधवारिन की सपने को मिला नया आकार, पक्का घर बना आत्मविश्वास का आधार

Share


00 प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना से बदली किस्मत
रायपुर। कभी कच्ची दीवारों के बीच चिंता में गुज़रने वाले दिन बरसात में टपकती छत और हर मौसम में असुरक्षा का डर इन्हीं चुनौतियों के बीच रहने वाली वनांचल गांव गुडली की श्रीमती बुधवारिन बाई आज बिल्कुल नई ज़िंदगी जी रही है। प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना ने न सिर्फ उसका घर बदला है, बल्कि उसके परिवार में सुरक्षा, सम्मान और सपनों की नई शुरुआत भी कर दी है।
गुडली जैसे सुदूर वनांचल में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय की बुधवारिन बाई का परिवार पहले हर मौसम से डरता था। बरसात में छत टपकती थी, गर्मी में दीवारें तपती थीं और ठंड में हवा सीधी भीतर घुस जाती थी। कच्चे घर में रहना मानो रोज़ का संघर्ष बन गया था। बच्चों का पढ़ना-लिखना, घर का काम, परिवार की नींद सब कुछ परेशानियों से भरा हुआ था। लेकिन प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना ने बुधवारिन के सपनों को नया आकार दिया। जब उसका नए पक्के घर का निर्माण पूरा हुआ, तो जैसे उसकी किस्मत ही बदल गई। आज वह अपने घर के सामने खड़ी होती है तो चेहरा गर्व और संतोष से चमक उठता है। अब न बारिश की चिंता है, न तूफान का डर। मजबूत दीवारें, साफ-सुथरा आंगन और सुरक्षित ठिकाना, ये सब उसके परिवार के लिए एक नई राहत लेकर आए हैं। बच्चे अब बरामदे में निश्चिंत होकर खेलते हैं, बुजुर्ग आराम से बैठते हैं और घर का हर काम बिना चिंता के हो जाता है।
यह घर सिर्फ ईंट और गारे का नहीं है, बल्कि बुधवारिन की मेहनत, उसके धैर्य और सरकार की सहयोगी नीतियों से बना एक सपना है। पहली बार उसके परिवार को वह सुकून मिला है जिसकी कमी वर्षों से महसूस होती थी। अब बच्चों के लिए बेहतर माहौल है, पढ़ने-लिखने की सुविधा है और परिवार के चेहरों पर नई उम्मीदों की रोशनी दिखाई देती है। गुडली जैसे दूरस्थ गांव में एक पक्का घर, सिर्फ एक संरचना नहीं बल्कि बदलाव की शुरुआत है।

GLIBS WhatsApp Group
Show More
Back to top button