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छत्तीसगढ़ की नोनी ना कभी रोनी चाही न कभी खोनी चाही बल्कि संजोनी चाहिए – डॉ. वर्णिका

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रायपुर। यूनिसेफ द्वारा आयोजित नोनी जोहार का चौथा संस्करण बिहेवियर मैटर्स विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम के रूप में संपन्न हुआ। इस आयोजन में प्रदेश के 15 जिलों से आए लगभग 250 बच्चों ने सहभागिता की और विभिन्न सामाजिक विषयों पर अपनी लर्निंग साझा करने हेतु आकर्षक स्टॉल्स लगाए।
अपने संबोधन की शुरुआत डॉ. वर्णिका शर्मा ने भारत माता के जयकारे और सभी को जोहार कहकर की। नोनी जोहार की भावना को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा हमर छत्तीसगढ़ की नोनी रोनी नहीं चाहिए, न ही कहीं खोनी चाहिए; बल्कि छत्तीसगढ़ की नोनी संजोनी चाहिए—तभी नोनी जोहार सार्थक होगा। वॉलंटियर्स के उत्साह की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह मन की विजय है, जो प्तसमर्पण_सेवा से संभव होती है। यह कार्य किसी ने चुना नहीं, बल्कि इस पुण्य कार्य ने स्वयं आप सभी को चुना है—यह समय सीखते हुए, सेलिब्रेट करते हुए आगे एलिवेट होने का है।
कार्यक्रम के दौरान सकारात्मक परवरिश की राह: सहज अनुसरण से अनुशासन की ओर विषयक सामग्री का विमोचन भी किया गया। इसके पश्चात डॉ. वर्णिका शर्मा ने बच्चों द्वारा लगाए गए विभिन्न स्टॉल्स का भ्रमण किया। इनमें निशक्तजन, शिक्षा, साइबर हीरो, बिलासपुर का पोषण से पुनर्जीवन, कबीरधाम का समानता से सशक्तिकरण तथा मन के रंग—चेहरे बोलते हैं जैसे विषयों पर आधारित स्टॉल्स शामिल रहे। बच्चों की रचनात्मकता, समझ और प्रस्तुति देखकर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की और उनके प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर विश्वविजय सिंह तोमर (अध्यक्ष, राज्य युवा आयोग), अभिषेक सिंह (एसबीसी स्पेशलिस्ट, यूनिसेफ छत्तीसगढ़), बाल पारितोष जी, चेतना देसाई (चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट), मनीष सिंह जी एवं मानस बनर्जी जी (अग्रिकॉन) सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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