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अंग्रेजों के जमाने का आपराधिक कानून खत्म, राष्ट्रपति ने नए क्रिमिनल लॉ पर लगाई मुहर

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हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने ब्रिटिश राज के तीन कानूनों को खत्म करने के लिए संसद में बिल पेश किए थे. सभी बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गए थे. वहीं आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने इन बिलों पर अपनी मुहर लगाकर उन्हें कानून की मान्यता दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन तीनों ही बिल, भारतीय न्याय संहिता के अलावा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल ने कानून का रूप ले लिया है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन बिलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि इन कानूनों से नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं. इसके बाद 1860 में बनी IPC को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा.

कौन से हुए बदलाव?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसमें क्या बदलाव किए गए हैं.

IPC: कौनसा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है. अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.

CRPC: गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है.

इंडियन एविडेंस एक्ट : केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है. इसमें पहले 167 धाराएं थीं. भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं.

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