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आधुनिक अनुसंधान MHRS के प्रवर्तक जनक ज्ञानी दास का लक्ष्य हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन चिकित्सा ज्ञान को विलुप्त होने से बचाना

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रायपुर। अंबिकापुर शहर में मानिकपुरी एक्यूप्रेशर रिसर्च एंड योग साइंस सेंटर का 19 जनवरी 2003 को शुभारंभ छत्तीसगढ़ प्रदेश के ग्रामीण व कर शहरी क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा पढ़ती जो हजारों वर्ष पुरानी ऋषि मुनियों महर्षियों द्वारा वैज्ञानिक तर्क पर आधारित चिकित्सा ज्ञान को विलुप्त होने से बचने का लक्ष्य रखा गया। 20 वर्षों की चिकित्सा अनुभव के आधार पर नैसर्गिक अनुसंधान का विस्तार के लिए आरोग्य कलश संस्था नामकरण करते हुए रायपुर चांगोरा भाटा में संचालित है।

संस्था के उद्देश्य अनुसार समय-समय पर विभिन्न संस्थानों व युवा वर्गों को शैक्षणिक एवं समय-समय निःशुल्क कार्य शिविर कार्यशाला का आयोजन कर कई हजारों रोगी लाभ ले चुके हैं। विभिन्न प्रकार के दवाइयां के शारीरिक दुष्प्रभाव एवं विभिन्न तकनीकी यंत्रों के रेडिएशन से बचने का एकमात्र समाधान, मध्य मस्तिष्क जड़ समाधान, चिकित्सा पद्धति है। जो भारतीय युवा के द्वारा खोज की गई है। मानव जीवन के लिए विश्व स्तर पर वरदान स्वरुप साबित हो रही है।

शिविर प्राचीन भारतीय विधाओं पर आधारित नैसर्गिक अनुसंधान एम एच आर एस (मध्य मस्तिष्क जड़ समाधान शैक्षिक) चिकित्सा पद्धति के प्रवर्तक जनक ज्ञानी दास मानिकपुरी अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट सामाजिक कार्यकर्ता योग साइंस सलाहकार के निर्देशन में संचालित संस्था में आयोजन की गई थी। चांगोरा भाटा रायपुर स्थित केंद्र में प्रातः 10 बजे से सायं 6 बजे तक सेवाएं उपलब्ध रहा। संस्था द्वारा एक दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर रायपुर के आसपास से रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण, परामर्श, मार्गदर्शन, साथ-साथ भविष्य में होने वाले विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए ज्ञानवर्धक जानकारियां दी जाती है।

छत्तीसगढ़ के डॉक्टर ज्ञानी दास मानिकपुरी की रिसर्च ने अब एक नया मोड़ ले लिया है बहुत जल्द एलोपैथी दवाइयां से लोगों को छुटकारा मिल जाएगा साथ ही दबे हुए नस का इलाज भी डॉक्टर मानिकपुरी बेहद गंभीरता से करतेहैं। डॉ मानिकपुरी अम्बिकापुर शहर के जिला सरगुजा ब्लॉक, तहसील, थाना राजपुर के छोटे से गांव गोपालपुर (रेडीपारा) में एक गरीब किसान परिवार में हुआ।

माता श्रीमती फिटको बाई के सबसे छोटे पुत्र है। जिनका जीवन गरीबी से गुजरा हुआ व आज अपने क्षेत्र के साथ-साथ सम्पूर्ण मानव जगत में इन्होने अपनी 15 वर्ष की निरन्तर सेवाये कार्य ग्राम से शहर तक अनेक सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन निःशुल्क एक्यूप्रेशर शिविर द्वारा अपनी जीविका व जन कल्याण कार्य करते हुए उन्होने 20 वर्ष की मेहनत व लगन, मनन, चिन्तन कर अपनी पहचान पूर्व में ही 23 फरवरी, 2015 को अपनी रिसर्च एडवान्स एक्यूप्रेशर फॉर न्यूरोजिकल डिस्ऑडर एक्यूट एण्ड क्रोनिक डिजीस इन हेल्थ बेनिफिट्स शोध कार्य द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल कोलकत्ता के साईंस सिटी ओडोटोरियम में प्राप्त हुआ व इन्होने 4 विषय में स्नात्कोतर (पी.जी.) की शिक्षा ग्रहण कर आत्म विश्वास व गहन शिक्षा द्वारा आधुनिक चिकित्सा स्वास्थ शिक्षा में बहुत ही उपयोगी विषय पर अपनी पहचान शुरू हो रही है।

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