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महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय में मशरूम उत्पादन पर सफल प्रयोग

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गौरेला पेंड्रा मरवाही। पेंड्रा क्षेत्र का वर्तमान तापमान ओएस्टर मशरूम उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। इसे ध्यान में रखते हुए महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय जीपीएम के प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय प्रयास किया है। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नारायण साहू के मार्गदर्शन और विषय अध्यापिका डॉ. चेतना जांगड़े के सहयोग से मशरूम उत्पादन का सफल प्रयोग किया गया। सर्वप्रथम छात्रों ने ओएस्टर मशरूम (मशरूम का एक प्रमुख प्रकार) की खेती की, जिसमें सफेद और गुलाबी आयस्टर मशरूम की किस्मों का चयन किया गया। छात्रों ने धान के भूसे का उपयोग करके मशरूम के बैग तैयार किए। मशरूम उत्पादन के लिए सबसे पहले बैग भरने से एक दिन पहले ओएस्टर मशरूम के बीजों को गर्म पानी और फार्मलिन प्लस बाविस्टीन से निर्जर्मीकरण किया गया।

 महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय में मशरूम उत्पादन पर सफल प्रयोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार ओएस्टर मशरूम का जीवन चक्र लगभग 25 से 30 दिन का होता है और इसका आदर्श तापमान 23 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। धान का भूसा 4 रुपए प्रति किलो की दर पर मिलता है और प्रत्येक बैग में लगभग 50 ग्राम मशरूम बीज डाला जाता है। इस तरह से प्रति बैग की लागत 20 रुपये से भी कम आता है। एक बैग से लगभग डेढ़ से दो किलो मशरूम प्राप्त होते हैं। मशरूम उत्पादन आर्थिक रूप से लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकता है। यह पहल न केवल छात्रों को कृषि विज्ञान में व्यावहारिक अनुभव प्रदान कराती है, बल्कि उनके लिए आर्थिक रूप से लाभकारी और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अनुकूल है। महाविद्यालय की यह पहल आने वाले समय में मशरूम उत्पादन को एक प्रभावी और स्थिर व्यवसाय के रूप में स्थापित कर सकती है। इस प्रयास में महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक डॉ. सोनल तिवारी सहायक प्राध्यापक आनुवांशिकी और पादप प्रजनन, डॉ. शुभम ठाकुर कृषि अर्थशास्त्र, डॉ. मुकेश पटेल किट विज्ञान, सुश्री गरिमा कोर्राम मृदा विज्ञान और डॉ. लक्ष्मी प्रसाद भरद्वाज सब्जी विज्ञान का भी सहयोग रहा है।

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