ग्रामीण इलाकों के लिए एसआईआर सर्वे घातक, एक लाख ग्रामीणों के नाम सूची से हो जाएंगे गायब – कुंजाम

सुकमा । छत्तीसगढ़ में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) सर्वे को लेकर बस्तरिया राज मोर्चा के संयोजक और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने आज सुकमा में प्रेसवार्ता में इस सर्वे को विनाशकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि अभी यह सर्वे कराना ग्रामीण इलाकों के लिए घातक साबित होगा। प्रशासन जल्दबाजी में डेटा इकट्ठा कर रहा है, जिससे हजारों लोग सरकारी रजिस्टर से बाहर हो सकते हैं। कुंजाम ने कहा कि कोंटा के गोलापल्ली, किस्ताराम और माड़ के सुदूर इलाकों में अब तक शासन-प्रशासन नहीं पहुंचा है। वहां सर्वे का सवाल ही नहीं उठता, उन्होंने चेताया कि यदि अब सर्वे कराया गया, तो एक लाख से ज्यादा ग्रामीणों के नाम सूची से गायब हो जाएंगे। सिर्फ सुकमा जिले में ही करीब 40 हजार लोग वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी अधिकांश ग्रामीणों के पास केवल वन अधिकार पट्टा ही दस्तावेज के रूप में है, बाकी लोग उससे भी वंचित हैं।
मनीष कुंजाम ने बताया कि बस्तर के 6 नक्सल प्रभावित जिलों में आज भी हजारों ग्रामीणों के पास शासकीय दस्तावेज नहीं हैं। दशकों तक नक्सली हिंसा के कारण प्रशासन इन इलाकों से दूर रहा है। अब जब शांति और विकास की प्रक्रिया शुरू हुई है, ऐसे समय में यह सर्वे ग्रामीणों के लिए भ्रम और संकट पैदा करेगा। कुंजाम का आरोप है कि एसआईआर की प्रक्रिया नागरिकता की जांच जैसी लग रही है। अगर किसी का नाम रजिस्टर से बाहर रह गया तो वह नागरिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं से वंचित हो सकता है। कुंजाम ने सवाल उठाया कि जब किसान खेतों में जुटे हैं, तब सर्वे टीमें गांवों में किससे डेटा इकट्ठा करेंगी? अभी खेतों में काम का वक्त है। जिन इलाकों में सर्वे टीम जाएगी, वहां गांव खाली मिलेंगे। बीएलओ भी कई जगह पहुंच नहीं पाएंगे, ऐसे में अधूरे या गलत डेटा से हजारों लोग सूची से बाहर हो जाएंगे। मनीष कुंजाम ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट से नाम गायब होने का मतलब नागरिकता पर सवाल उठाना है। सरकार नागरिकता जांच के नाम से आएगी तो इसका विरोध होगा इसलिए चुनाव आयोग के माध्यम से कराया जा रहा है।
मनीष कुंजाम का कहना है कि देश के कई राज्यों में एसआईआर पर सवाल उठ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती दी जा चुकी है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2028 में हैं, ऐसे में यह सर्वे पूरी तरह समय से पहले अनुचित है। उन्हाेने कहा कि वे एसआईआर सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, 2028 का चुनाव जब छह महीने दूर रहेगा, तब सर्वे कराएं, अभी नहीं. वर्तमान समय में यह पूरी तरह से षड्यंत्रकारी प्रक्रिया है, जिसका बस्तर पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने आग्रह किया कि शासन को पहले प्रशासनिक व्यवस्था और दस्तावेजी पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए, फिर इस तरह के सर्वे पर आगे बढ़ना चाहिए।







