केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य का हिस्सा बढ़ाया जाए – एएचपीआई छत्तीसगढ़
रायपुर। कल पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर अपनी अपेक्षाएं व्यक्त करते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता एवं महासचिव डॉ अतुल सिंघानिया ने कहा कि केंद्रीय बजट में कुल जीडीपी का 2 प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च होना चाहिए यह अंतरराष्ट्रीय मानक के करीब है और कई उन्नतिशील देश अपनी स्वास्थ्य व्यवस्थओं पर इससे अधिक खर्च करते हैं। भारत में पिछले कई सालों में स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी का 1त्न से कुछ अधिक है।
देश की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को आयुष्मान योजना की लाभार्थी बनाने के लक्ष्यों को स्वास्थ्य का पर्याप्त बजट नहीं होने की वजह से नहीं पाया जा सका है। कम और अनियमित बजट प्रावधानों के चलते अस्पतालों को आयुष्मान योजना के ईलाज का समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है। अस्पतालों के बढ़ते संचालन व्यय की वजह से आयुष्मान योजना के पैकेज दरों के भी पुनर्निर्धारण किये जाने की जरूरत है।
हाल के वर्षों में लाइफ स्टाइल बीमारियों या नॉन कम्युनिकेबल डिसीज़ के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके लिए प्रिवेंटिव और प्रोमोटिव हेल्थ के बजट को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं में राज्यों को केंद्र से मिलने वाले अंशदान को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। दवाओं की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के साथ ही इनकी गुणवत्तापूर्ण उपलब्धि सुनिश्चित करने की स्वस्थ प्रणाली पर सार्थक शुरुवात करने की जरुरत है। स्वास्थ्य आपदाओं पर नियंत्रण के लिए राज्यों को पृथक से वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए ताकि चुने हुए मेडिकल कॉलेज में नोडल केंद्र बनाए जा सकें। छत्तीसगढ़ में मेडिकल कालेजों के रीजनल टीचर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाया जाए जहां भावी डॉक्टरों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जा सके।