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जबरन नमाज पढ़़वाने वाले सात शिक्षकों को हाईकोर्ट से लगा झटका, एफआईआर रद्द करने की याचिकाएं खारिज

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बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिवतराई एनएसएस शिविर में छात्रों को जबरन नमाज पढ़वाने के आरोपों में घिरे सात शिक्षकों की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की खंडपीठ ने खारिज कर दी हैं।
कोटा थाना क्षेत्र के शिवतराई गांव में 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई द्वारा शिविर लगाया गया था। आस्तिक साहू, आदर्श कुमार चतुर्वेदी, नवीन कुमार आदि ने आरोप लगाया कि शिविर के दौरान शिक्षक दिलीप झा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, प्रशांत वैष्णव, बसंत कुमार और डॉ. नीरज कुमारी ने हिंदू छात्रों को जबरन नमाज पढऩे के लिए मजबूर किया। इस शिकायत पर कोटा थाना में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 190, 196 (1) (बी), 197 (1) (बी), 197 (1) (सी), 299, 302 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
सभी आरोपी सहायक प्राध्यापकों ने एफआईआर को राजनीति से प्रेरित और देर से दर्ज बताया। उन्होंने कहा कि शिकायत 14 अप्रैल को की गई, जबकि घटना 14-15 दिन पहले की थी। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि शिविर में करीब 150 हिंदू छात्र थे, जिनमें से सिर्फ तीन ने शिकायत की। मुस्लिम छात्रों ने स्वेच्छा से नमाज अदा की थी। सभी याचिकाकर्ता पहले से जमानत पर हैं। वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोप गंभीर हैं और प्राथमिक गवाहों के बयान इनकी पुष्टि करते हैं। ऐसे में एफआईआर रद्द नहीं की जानी चाहिए क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। कोर्ट के समक्ष “निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर बनाम महाराष्ट्र राज्य” मामले का हवाला देते हुए कहा गया कि एफआईआर रद्द करना केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही संभव होता है। जब तक जांच चल रही हो, आरोपों की सच्चाई पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। पुलिस को स्वतंत्र रूप से जांच पूरी करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इन तर्कों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं।

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