पार्टी में दिया घोटाले का पैसा, कवासी व एक अन्य नेता को मिलता था हर महीने 20 करोड़

रायपुर। राज्य के 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ईओडब्ल्यू के पूरक चालान के मुताबिक, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के अलावा एक अन्य बड़े कांग्रेसी नेता को महीने में दो बार 10-10 करोड़ रुपए मिलते थे।केवल इतना ही नहीं शराब घोटाले से मिली रकम में से 1500 करोड़ रुपए पार्टी फंड में दिया गया है। किस पार्टी को फंड दिया गया है, इसकी जाँच में ईओडब्ल्यू जुटी हुई है।
इस गड़बड़ी की शुरुआत फरवरी 2019 से हुई। साल में 60 लाख से ज्यादा पेटियां अवैध रूप से बेची गई।
दो नंबर की शराब बेचने के लिए राज्य को 8 जोन में बांटकर 15 जिलों को चुना गया था। यहाँ की दुकानों में फैक्ट्री से ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगकर शराब आती थी। सिंडीकेट में शामिल अरविंद सिंह का भतीजा अमित सिंह, अनुराग ट्रेडर्स से जुड़े अनुराग द्विवेदी, सत्येंद्र प्रकाश गर्ग, नवनीत गुप्ता ने ओवर बिलिंग और बिना बिल के शराब की बोतल की सप्लाई की। अमित अपने साथी दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा के साथ मिलकर डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई करता था। कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया की सुमित फैसिलिटीज कंपनी के कर्मचारी ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगाते थे।
शराब घोटाले का पैसा एकत्र करने विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, सिद्धार्थ सिंघानिया अमित सिंह समेत कई लोग शामिल थे। साल भर बाद सिस्टम बदल दिया और प्लेसमेंट कंपनी के जरिए पैसों का कलेक्शन करने लगे। यह पैसा हवाला के जरिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता भेजा गया। इसमें कारोबारी सुमित मालू और रवि बजाज शामिल थे। दोनों ने यह बात कबूल कर लिया है। इस कारोबार में शामिल आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूलता त्रिपाठी के नाम पर रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट कंपनी रजिस्टर कराई। इस कंपनी ने डुप्लीकेट होलोग्राम बनाने वाली कंपनी को 50 लाख में सॉफ्टवेयर बेचा था। अरुणपति त्रिपाठी के करीबी निलंबित बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह ने अपनी पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर अदीप एम्पायर और माउंटेन व्यू इंटरप्राइजेज कंपनी रजिस्टर कराई। उनका यह काम अरविंद का भतीजा अमित सिंह देखता था। इसी टुटेजा परिवार और ढेबर परिवार का नाम भी इसमें सामने आया है. उनके नाम से कारोबार निवेश की भी जांच एजेंसी को मिली है.
