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RSS नेता के बीजेपी पर कटाक्ष से मची हलचल, कहा- जो अहंकारी हो गए थे, उन्हें भगवान राम ने 240 पर रोक दिया

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दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS ) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर एक बड़ा बयान दिया है। जयपुर के पास कानोता में ‘रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह’ को संबोधित करते हुए उन्होंने भाजपा को ‘अहंकारी’ और विपक्षी इंडिया ब्लॉक को ‘राम विरोधी’ करार दिया।

इंद्रेश कुमार ने कहा, “भगवान श्री राम सबके साथ न्याय करते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को ही देख लीजिए। जो लोग राम की पूजा करते थे, लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी तो बना दिया, लेकिन उसे पूरे अधिकार नहीं मिले, जो मिलने चाहिए थे। अहंकार के कारण भगवान ने उन्हें उस नतीजे तक पहुंचने से रोक दिया।”

इंद्रेश कुमार ने इंडिया ब्लॉक का साफ तौर पर जिक्र करते हुए कहा, “राम का विरोध करने वालों को भगवान ने कोई सत्ता नहीं दी। सबने मिलकर लड़ाई लड़ी, लेकिन उसके बाद भी वे नंबर 1 नहीं बन पाए, वे नंबर 2 पर ही खड़े रहे। इसलिए भगवान का न्याय विचित्र नहीं, सत्य है और बहुत आनंददायक है।”

इंद्रेश कुमार ने भाजपा के संदर्भ में कहा, “जो पार्टी (भगवान राम) की पूजा करती थी, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया। और जिनकी राम में आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया।” उन्होंने आगे कहा, “लोकतंत्र में राम राज्य देखिए, जो लोग राम की पूजा करते थे, लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वह पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन उन्हें जो वोट और सत्ता मिलनी चाहिए थी, उसे भगवान ने उनके अहंकार के कारण सही नतीजों तक पहुंचने रोक दिया। जिन्होंने राम का विरोध किया, ऐसे लोगों में से किसी को भी सत्ता नहीं मिल पाई। यहां तक ​​कि वे सभी एक साथ मिलकर भी नंबर दो पर ही रुके रह गए।

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा, “भगवान श्री राम कभी भेदभाव नहीं करते और न ही किसी को सजा देते हैं। राम किसी को दुखी नहीं करते। भगवान श्री राम सबके साथ न्याय करते हैं और करते रहेंगे। भगवान राम हमेशा न्यायप्रिय हैं और हमेशा न्यायप्रिय रहेंगे।” उन्होंने कहा, “भगवान राम ने लोगों की रक्षा की और रावण का भी भला किया।”

यह टिप्पणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के कुछ दिनों बाद आई है। मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चे ‘सेवक’ में अहंकार नहीं होता और वह ‘मर्यादा’ बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है। नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा, “जो सच्चे सेवक होते हैं, जिन्हें असली सेवक कहा जा सकता है, वह कभी भी मर्यादा में रहते हैं और उसका पालन करते हैं। जो मर्यादा का पालन करने वाला होता है, वह काम तो करता है लेकिन काम को लेकर अहंकार नहीं करता। उसे यह घमंड नहीं होता कि मैंने यह किया। सेवक कहलाने का अधिकार सिर्फ ऐसे ही लोगों को है।

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