रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में “बंटी–बबली मॉडल” से फर्जी नियुक्तियों का खुलासा पार्ट -3

रायपुर। एनएसयूआई रायपुर जिला अध्यक्ष शान्तनु झा के नेतृत्व में आज पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर डॉ. नमिता ब्रम्हे (प्राध्यापक, भौतिकी) की नियुक्ति में गंभीर अनियमितताओं और भ्रामक/गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षित पद प्राप्त करने के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच एवं तत्काल सेवा समाप्ति की मांग की गई।
NSUI ने इस मामले को पहले से लंबित डॉ. रविन्द्र कुमार ब्रम्हे (अर्थशास्त्र) प्रकरण से जोड़ते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में यह कोई एक मामला नहीं, बल्कि “बंटी–बबली मॉडल” के तहत पति–पत्नी दोनों द्वारा आरक्षित पदों पर कब्जे का गंभीर उदाहरण है। पहले “बंटी” (डॉ. रविन्द्र ब्रम्हे) के काग़ज़ सामने आए, अब “बबली” (डॉ. नमिता ब्रम्हे) की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं।
शान्तनु झा कहा कि डॉ. नमिता ब्रम्हे की नियुक्ति वर्ष 2004 में अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित पद पर हुई, जबकि उनका जाति प्रमाण पत्र पिता/पूर्वजों के बजाय पति के अस्थायी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बनाया गया प्रतीत होता है, जिसकी वैधता पहले ही समाप्त हो चुकी थी। इसके बावजूद 21 वर्षों से आज तक जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं हो पाया, फिर भी दोनों पति–पत्नी पद पर बने हुए हैं।
NSUI ने यह भी आरोप लगाया कि 2007 से 2021 तक शासन द्वारा जारी 11 आदेशों/परिपत्रों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की, जो संरक्षण, मिलीभगत और भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।
NSUI की चेतावनी
शान्तनु झा ने स्पष्ट कहा—“यह सिर्फ बंटी–बबली की कहानी नहीं है, बल्कि आरक्षित वर्ग के वास्तविक हकदार युवाओं के अधिकारों की लूट है। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्काल कठोर कार्रवाई नहीं की, तो NSUI उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी।”
NSUI ने मांग की कि—
दोनों प्रकरणों की राज्य स्तरीय जांच हो,
दोष सिद्ध होने पर तत्काल सेवा समाप्ति और दंडात्मक कार्रवाई की जाए,
और फर्जी नियुक्तियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।







