सब्जी उत्पादन और मछली पालन से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर, गांव के लिए रमेश बने प्रेरणास्रोत

रायपुर। महात्मा गांधी नरेगा के डबरी निर्माण ने ग्राम पंचायत रेगड़ा के पट्टाधारी किसान रमेश के जीवन में नई आशाएं जगाई है। सिंचाई, मछली पालन और सब्जी उत्पादन से उनकी आय बढ़ी। पानी की कमी से जूझता जीवन अब खुशहाली में बदल रहा है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
रायगढ़ जिले के ग्राम पंचायत रेगड़ा के वन अधिकार पट्टाधारी किसान रमेश के जीवन में मनरेगा के तहत निर्मित डबरी ने वह बदलाव लाया जिसकी उन्हें वर्षों से तलाश थी। पहले रमेश की खेती पूरी तरह वर्षा पर आधारित थी, जिससे उत्पादन सीमित होता था और आय भी अनिश्चित रहती थी। कठिन परिश्रम करने के बावजूद परिवार की आजीविका पर हमेशा संकट बना रहता था। परंतु मनरेगा के माध्यम से उनके खेत में कराए गए डबरी निर्माण कार्य ने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। कठिन मिट्टी और चट्टानों से भरे क्षेत्र में डबरी बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन तकनीकी सहायक, रोजगार सहायक और मेट के मार्गदर्शन में कार्य उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में 652 मानव दिवस सृजित हुए, जिससे ग्रामीणों को तात्कालिक रोजगार और आय का अवसर मिला।
डबरी निर्माण से स्थायी आजीविका स्रोत
डबरी निर्माण के बाद रमेश के खेत में वर्षभर सिंचाई उपलब्ध हो गई। इसका प्रत्यक्ष लाभ उन्हें खेती में मिला। अब उनके खेत में धान, मूंगफली, तरबूज, केला तथा विविध सब्जियों का उत्पादन होने लगा है। इससे न केवल उनके कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई, बल्कि अतिरिक्त आय का मार्ग भी खुला। साथ ही डबरी में मछली पालन की शुरुआत ने उन्हें एक और स्थायी आजीविका स्रोत प्रदान किया।
डबरी निर्माण से खुशहाली और आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ रहा है रमेश
मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि सरकारी योजनाओं को ईमानदारी और सही दिशा में लागू किया जाए, तो ग्रामीण जीवन में स्थायी बदलाव संभव है। आज रमेश का परिवार आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है और उनकी तरक्की की कहानी पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन चुकी है। ग्राम पंचायत रेगड़ा में निर्मित यह डबरी आज रोजगार, विकास और समृद्धि का नया प्रतीक है। रमेश गर्व से कहते हैं डबरी ने हमारे जीवन में स्थायी खुशहाली और आत्मनिर्भरता की नई राह खोल दी है।







