पुलिस, व्यापारी, राजनेता और जनता फर्जी पत्रकारो से परेशान
संपादक राहुल चौबे की कलम से
प्रदेश में पत्रकारो की बाढ़ सी आ गई है। इस बीच पुलिस, व्यापारी, राजनेता और जनता को यह परेशानी हो रही है कि आख़िर पत्रकार माने तो माने किसको । जिन्हे वास्तव में अपना काम करना चाहिए वे सरकार को खुश करने में लगे हुए है और जिनका पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं है वे लोग अपने आप को एक पोर्टल और यू ट्यूब चैनल के दम पर दबंग मान बैठे है। लोगों का कहना है कि हर कोई अपने आप को पत्रकार कहकर वसूली कर रहा है। कभी कुछ लोग अपने आप को पत्रकार कहकर होटल में चाय नाश्ता का पैसा देने से बचते है तो कहीं वे वसूली करने पहुंच जाते है। वे जहाँ वसूली करने पहुँचते है वहाँ उनका कहना होता है सुबह से इस खबर के पीछे हम मेहनत कर रहे है तो कम से कम एक लाख या फिर पचास हज़ार रुपये तो चाहिए लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि आख़िरकार सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई क्यो नहीं कर रही है। साथ ही ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ अब बिरादरी को एक जुट होकर पहल करनी चाहिए।