निज सचिव/ निज सहायक मंत्रीगणों व विधायकों की अपेक्षा के अनुरूप सहयोग करें – डॉ रमन

रायपुर। छत्तीसगढ की षष्ठम विधानसभा के मंत्रीगणों एवं विधायकों के निज सचिव/निज सहायकों हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आज विधानसभा सचिवालय स्थित समिति कक्ष क्रमांक-01 में किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने किया। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप एवं विधानसभा के सचिव दिनेश शर्मा भी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन अवसर पर अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि-प्रशिक्षण एक सतत प्रक्रिया है एवं सीखने की कोई उम्र नही होती है। निज सहायकों के प्रशिक्षण के माध्यम से हम मान. सदस्यों की सुविधा का विस्तार करना चाहते हैं और हमें विश्वास है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत निज सहायकों के कार्यो में और अधिक गुणवत्ता एवं दक्षता आयेगी और वे सदस्यों के संसदीय दायित्व निर्वहन एवं जनप्रतिनिधि के रूप में प्रभावी भूमिका निर्वहन में उपयोगी एवं सहायक सिद्ध होंगे। छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ जनता मे से 100 व्यक्ति ही मंत्रियों एवं विधायकों के निज सचिव/ निज सहायक हेतु चयनित होते हैं इसलिए उनकी भूमिका, विशेष होती है। निज सहायक मंत्री और विधायकों की अपेक्षा के अनुरूप सहयोग कर सकें यही इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य है। उन्होने कहा कि-कार्यपालिका और विधायिका के कार्य में बुनियादी अंतर होता है। विधानसभा का अपना पृथक सचिवालय होता है जो कार्यपालिका के नियंत्रण से पृथक रहता है। मंत्री और विधायकों के निज सहायकों का यह नैतिक दायित्व होता है कि वे विधायक की अपेक्षाओं को पूरा करें एवं आवश्यक जानकारियां उन तक पहुंचायें। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधान सभा की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि-अल्प काल में ही इस विधान सभा में तीन मान. राष्ट्रपति का आगमन, गर्भगृह में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन का नियम इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि-निज सचिव/ निज सहायक को केन्द्र एवं राज्य की फ्लेगशिप योजनाएं कंठस्थ होनी चाहिए। इन योजनाओं से संबंधित विभिन्न विभागों के प्रपत्र भी हितग्राही के उपयोग के लिए उनके पास होनी चाहिए। उन्होंने निज सचिव/ निज सहायक में समय प्रबंधन, गोपनीयता एवं विश्वसनीयता जैसे गुण होने पर विशेष जोर दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि विधायकों को अपने दायित्वों के निर्वहन में निज सहायकों के सहयोग एवं भागीदारी की अत्यंत आवश्यकता होती है। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम से निज सहायक शासकीय प्रक्रियाओं को और बेहतर तरीके से समझेगें जिससे प्रजातांत्रिक व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि-व्यक्ति को सीखने का लाभ जीवन भर मिलता है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में निज सहायक विधायकों लिए एक प्रेरक तत्व की तरह कार्य करते हैं।
इस अवसर पर विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि-छत्तीसगढ विधानसभा ने आरंभ से आज तक उत्कृष्टता के नव प्रतिमानों को स्पर्श किया है और आज का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इसी दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि निज सहायक विधानसभा की सभी शाखाओं में किये जाने वाले कार्य को जाने इससे मान. सदस्य को अपने कार्य को मूर्तरूप देने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि- निज सचिव/निज सहायक अपनी विनम्रता, आज्ञाकारिता विश्वास, प्रतिबद्धता जैसे गुणों से सदस्यों की सफलता के कारक बन सकते हैं। उन्होंने सचिवालय की प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण सूचनाओं के संदर्भ में भी प्रतिभागियों को जानकारी दी। उदघाटन सत्र के अंत में संचालक मनीष शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में अरूण कुमार बिसेन ने निज सचिव/निज सहायक की विधान सभा एवं शासन में समन्वय हेतु भूमिका, सोशल मीडिया एवं टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग दिनेश त्रिवेदी ने विधान सभा का गठन एवं विधान सभा के सत्र विषय पर ज्ञानेन्द्र उपाध्यय ने सुरक्षा व्यवस्था संबंधी, विषय पर जी. एस. सलूजा ने सदस्यों के सफल जनप्रतिनिधि तथा संसदीय दायित्व निर्वहन में सहयोगी के रूप में भूमिका विषय पर आशीष शुक्ला ने लोक महत्व के विषय पर स्थगन प्रस्ताव,ध्यानाकर्षण सूचना एवं शून्यकाल, याचिका विषय पर श्री सुधीर शर्मा ने प्रश्न एवं प्रश्नकाल विषय पर संकल्प एवं विधान सभा की समितियॉ डॉ. बलराम शुक्ला ने वित्तीय कार्य/विधायी कार्य विषय पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये एवं प्रतिभागियों की शंका का समाधान किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक निज सचिव/ निज सहायकों ने भाग लिया एवं विभिन्न विषयों पर विषय-विशेषज्ञों से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
