छनक उठी पायल की खामोश जिंदगी
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00 जिंदगी ना मिलेगी दुबारा संस्था ने कराया गरीब कन्या का विवाह
रायपुर। जिंदगी भले ही दुबारा न मिले किंतु बेरंग व रूठी हुई जिंदगी में खुशियों के रंग तो भरे ही जा सकते हैं। जिंदगी ना मिलेगी दुबारा यह संस्था का नाम है और यह संस्था जिंदगी दुबारा नहीं मिलेगी के चिंतन को ध्यान में रखकर जनसेवा का पुण्य काम कर रही है। यह संस्था संदेश दे रही है कि ये जिंदगी अब दुबारा नहीं मिलने वाली लिहाजा अच्छे कर्म, परोपकार और सेवा करके इस जिंदगी के कैनवास में कर्मों की तुलिका से खूबसूरत तस्वीर बना लो।
जिंदगी ना मिलेगी दुबारा संस्था ने संस्थापक श्रीमती सुषमा तिवारी की अगुवाई, परोपकारी लोगों तथा संस्था के सदस्यों के सहयोग से जरूरतमंदों की चिंता को दूर करने का बीड़ा उठाया है। हाल ही में एक अति निर्धन परिवार की बिटिया की सप्तपदी कराकर संस्था ने परिवार के सदस्यों के माथे पर खींच आई चिंता की लकीरों को मिटा दिया है। सुषमा कहतीं हैं कि हमने तो कुछ नहीं किया है यह तो कन्या के भाग्य में लिखा हुआ था। हम सब ने तो बस मानवता का कर्तव्य पूरा किया है और मानव धर्म निभाया है। बदनसीबी के गर्भ से जन्म लेकर अभावों की खाई में पली-बढ़ी पायल का साथ मां की ममता ने पहले छोड़ दिया था। मां का स्वर्गवास हो गया और पिता का रहना नहीं रहने के बराबर था। पायल की एक बड़ी व छोटी बहन भी है। मां के देवलोक गमन के बाद तीनों बहनें अलग-अलग चाचा के यहां रहने लगीं थी। बड़ी बहन की शादी पहले ही हो चुकी है। पायल व उनकी दोनों बहनों की परवरिश में आर्थिक संकट हमेशा बाधा बनकर खड़ी रही। लिहाजा शिक्षा की गाड़ी भी आगे नहीं बढ़ पाई। यानी सब तरफ अंधेरा और सारे रास्ते बंद। कहते हैं न देर है पर अंधेर नहीं। जरूरतमंदों व साफ दिल वालों के लिए ईश्वर किसी न किसी माध्यम से खुशियों के गुप्त द्वार खोल देता है। भगवान ने इस बार जिंदगी न मिलेगी दोबारा संस्था को अपना माध्यम बनाया। देवी-देवताओं के खेल को भला कोई समझ पाया है। भगवान को जब काम बनाना होता है न तो संयोग का मायाजाल बुनकर सूत्रों को जोड़ देता है। बेमेतरा के पास कांपा की रहने वाली पायल तिवारी की एक रिश्तेदार की सुषमा तिवारी से भेंट हुई। रिश्तेदार ने सुषमा के समक्ष पायल की शादी को लेकर चिंता प्रकट करते हुए गरीबी का हवाला दिया। सुषमा ने उसके जख्म पर भरोसे का मलहम लगाते हुए सोशल मीडिया पर एक अपील जारी की कि माता-पिता विहीन एक गरीब कन्या के लिए ऐसा वर चाहिए जो उसे एक साड़ी में विदा कर ले जाए। अपील रामबाण दवा का काम किया। सुषमा के पास सौ से अधिक लोगों के फोन आए। इनमें से महासमुंद जिला के एक युवक का चयन पायल के लिए किया गया। युवक शिक्षा विभाग में कार्यरत है।
शिव विहार कालोनी, अमलेश्वर में पायल की धूमधाम से शादी सम्पन्न हुई। बारातियों के भोजन की व्यवस्था अजय शुक्ला ने की। संस्था के सदस्यों ने उपहार में नगद के अलावा टीवी, पलंग, वाशिंग मशीन, सोफा सेट, बर्तन, सोने-चांदी के जेवर, गृहस्थी की सामग्रियां, कपड़े, आलमारी आदि वस्तुएं दी। पायल की पेटी में नगद पांच हजार डाला गया। संस्था ने पायल की शादी अपनी बेटी की तरह की। जब उसकी विदाई हो रही थी तो सबकी आंखें गीली हो गई थी। दुल्हन के रूप में पायल को देखकर उसके परिजन प्रसन्न थे। पायल के माथे की बिंदिया इतरा रही थी तो मांग का सिंदूर गर्व से दमक रहा था। और सुषमा… सुषमा तो पायल की मां बनकर आशीर्वाद दिए जा रही थी।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि यह संस्था गायों को चारा खिलाने, पानी के लिए कोटना की व्यवस्था, प्याऊ घर खोलने, कंबल-कपड़े बांटने, दिव्यांग बच्चों को मदद करने सहित ऐसे ढेरों काम करती है। इतना ही नहीं बीमारों को मेडिकल पलंग, बैशाखी, वॉकर, व्हीलचेयर, ऑक्सीजन मशीन, हवा वाले गद्दे आदि भी उपलब्ध कराती है वह भी मुफ्त। इसके लिए संस्था के अजय शर्मा ने अपने मकान को गोदाम के लिए दे दिया है। वास्तव में नेकी से शांति के द्वार खुलते हैं। किसी ने सच ही लिखा है ‘जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारोंÓ और खुदा तो जिंदगी ना मलेगी दोबारा के रूप में आकर मदद करते हैं।
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