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राज्य के 17 जिलों में हो रही पाम की खेती, उद्यान विभाग की मदद से मिली नई दिशा

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रायपुर। पॉम की खेती प्रदेश के किसानों के लिए स्थायी आय का जरिया बन रही हैं। राज्य सरकार किसानों को अतिरिक्त आमदनी के साधन उपलब्ध कराने पॉम सहित अन्य उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दे रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 17 जिलों में पॉम की खेती के लिए प्रयास किए है। राज्य में प्रमुख रूप से बस्तर, कोण्डागांव, कांकेर, सुकमा नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, महासमंुद, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, जाजगीर-चापा, दुर्ग, बेमेतरा, जशपुर, सरगुजा, कोरबा और बिलासपुर जिले में पाम की खेती की जा रही है। राज्य में विगत चार वर्ष में 1 हजार 150 कृषकों के 1 हजार 600 हेक्टेयर रकबे में पॉम के पौधों का रोपण किया गया है। इस वर्ष 802 किसानों के 1 हजार 089 हेक्टेयर रकबे में पॉम का रोपण कराया जा चुका हैं।रायगढ़ विकासखंड के ग्राम चक्रधरपुर के किसान राजेंद्र मेहर ने उद्यान विभाग के सहयोग से अपने 10 एकड़ खेत में 570 आयल पाम के पौधों का रोपण किया है। श्री मेहर ने बताया कि यह भूमि लंबे समय से खाली पड़ी थी और वे काफी समय से उद्यानिकी फसल लेने का विचार कर रहे थे। इसी तरह महासमुंद जिले में 611 हेक्टेयर क्षेत्र में पॉम की खेती की जा रही है।
पॉम ऑयल की मांग और उत्पादकता को ध्यान में रखते हुए पॉम की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन के तहत साझा अभियान शुरू किया है। इसके तहत 2 हजार 682 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पॉम पौधों का रोपण हो चुका है। पॉम ऑयल सबसे अधिक उपयोग में लाये जाने वाला वनस्पति तेल है। इसका उपयोग बिस्किट, चॉकलेट, मैगी, स्नैक्स और गैर खाद्य जैसे साबुन, क्रीम, डिटर्जेंट, बायोफ्यूल आदि उत्पादों में होता हैं। पॉम के कृषकों को प्रोत्साहन हेतु केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा एक-एक लाख रूपए अनुदान भी दिया जा रहा है। वहीं किसानांे को निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं।
राष्ट्रीय तिलहन एवं पॉम ऑयल मिशन के तहत अब तक देशभर में 3.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर पॉम की खेती हो चुकी है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2024-25 में पॉम ऑयल का घरेलू उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़ा हैं। जबकि सरकार ने वर्ष 2029-30 तक इसका उत्पादन 28 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार तेलंगाना, असम, मिजोरम, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पॉम की खेती से रोजगार और आय का नया साधन जुटाने की दिशा में काम कर रही है।

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