धान खरीदी: केंद्रों में संकट, मची हाहाकार, 80 खरीदी केंद्र बम्फर बफर जोन से ऊपर, उठाव शून्य के बराबर
कवर्धा। राज्य सरकार द्वारा 14 नवंबर 2024 से शुरू किए गए धान खरीदी अभियान में समस्याओं का अंबार खड़ा हो गया है। जिले के धान उपार्जन केंद्रों पर व्यवस्था चरमराने लगी है। अब तक जिले के 25 प्रतिशत से अधिक किसान अपनी उपज बेच चुके हैं, जिससे उपार्जन केंद्र धान से पूरी तरह भर गए हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि धान का उठाव न होने से केंद्रों में भंडारण की जगह समाप्त हो गई है। सब तरफ हाहाकार मचा हुआ है, किसान से लेकर खरीदी करने वाले कर्मचारी भी अधिक परेशान हो चुके है।
धान से भरे केंद्र और प्रभारियों की असमंजस स्थिति
धान का भारी जमाव और उठाव की धीमी प्रक्रिया के चलते केंद्र प्रभारी हताश और उदासीन नजर आ रहे हैं। अधिकांश केंद्रों पर धान रखने की अतिरिक्त जगह नहीं बची है, और कई प्रभारियों ने स्थिति को संभालने में असमर्थता जाहिर की है। प्रशासन की ओर से उठाव प्रक्रिया तेज करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे प्रभारियों का गुस्सा भी बढ़ने लगा है, अब खरीदी बंद करने चेतावनी भी दे दिये है।
टोकन न मिलने से परेशान किसान
धान खरीदी केंद्रों पर जगह की कमी के चलते टोकन जारी करने की प्रक्रिया भी ठप हो गई है। किसान अपनी उपज बेचने के लिए कई दिनों तक केंद्रों के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं। टोकन न कटने की स्थिति में किसान अपनी फसल को लेकर घर लौटने पर मजबूर हैं। इस अव्यवस्था से किसानों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन ने समय रहते उठाव की व्यवस्था नहीं की, जिससे उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलना मुश्किल हो गया है।
आंदोलन की सुगबुगाहट
सूत्रों के अनुसार, धान खरीदी केंद्रों पर काम करने वाले प्रभारियों ने प्रशासनिक लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही धान उठाव की प्रक्रिया को तेज नहीं किया गया तो वे अपने कामकाज को ठप कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
80 खरीदी केंद्र बफर जोन में
जिले में 108 खरीदी केंद्र उपार्जन केंद्र है, लेकिन उठाव नहीं होने से 80 केंद्र बफर जोन में आ चुके है। ऐसे में खरीदी प्रभावित हो रही है और किसान परेशान हो रहे है। किसान और केंद्र प्रभारी दोनों जिला प्रशासन और राज्य सरकार से जल्द से जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं। किसान चाहते हैं कि उनकी उपज का उठाव समय पर हो ताकि खरीदी प्रक्रिया सुचारु रूप से चल सके। प्रभारियों का कहना है कि सरकार को बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उपज का समुचित भंडारण और उठाव समय पर हो सके।