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मिट्टी स्वस्थ होगी तभी हमारी सेहत अच्छी रहेगी – डॉ. चंदेल

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00 कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में मनाया गया विश्व मृदा दिवस
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा है कि मिट्टी हमारी कृषि, भोजन और जलवायु संतुलन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। स्वस्थ मिट्टी से स्वस्थ फसल तैयार होती है और स्वस्थ फसल से मनुष्यों का स्वास्थ अच्छा रहता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में मिट्टी के घटते स्वास्थय के कारण पर्यावरण असंतुलन, जैव विविधता में कमी और कृषि उत्पादकता में गिरावट जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मिट्टी की देखभाल तथा उचित प्रबंधन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने खेतों में जीवांश पदार्थों के संतुलित उपयोग पर जोर दिया। डॉ. चंदेल आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर द्वारा आयोजित विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कुलपति डॉ. चंदेल द्वारा किसानों को जवाहर नवोदय विद्यालय, माना एवं केन्द्रीय विद्यालय, रायपुर के छात्रों द्वारा तैयार उनके खेतों के मृदा स्वास्थय कार्ड भी प्रदान किये गये।
इस अवसर पर ‘‘मिट्टी की देखभाल – मापन, निगरानी तथा प्रबंधन’’ विषय पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें मृदा वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मिट्टी की समुचित देखभाल तथा मृदा ऊर्वरता प्रबंधन पर जानकारी दी गई। संगोष्ठी में बताया गया कि कृषि में मिट्टी के महत्व तथा उसकी गुणवत्ता में आ रही खराबी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2013 से 5 दिसम्बर के दिन विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत की 30 प्रतिशत मिट्टी प्रदूषण एवं उर्वरता की कमी से प्रभावित है। पिछले दो दशकों में मिट्टी में जैविक कार्बन का स्तर 23 प्रतिशत तक घटा है, और 40 प्रतिशत कृषि भूमि में पोषक तत्वों की गंभीर कमी देखी गई है। बताया गया कि वर्ष 2050 तक भारत की जनसंख्या 1.7 अरब होने का अनुमान है। जिससे खाद्यान की मांग 330 मिलियन टन से बढ़कर 350 मिलियन टन हो जाएगी। इस मांग को पूरा करने के लिए मिट्टी के स्वास्थ और मृदा ऊर्वरता को बनाये रखना आवश्यक है। संगोष्ठी में वैज्ञानिकों द्वारा खेतों में जीवांश कार्बन का अधिक उपयोग, ऊर्वरकों का संतुलित उपयोग, प्राकृतिक खेती तथा फसल चक्र परिवर्तन की सलाह दी गई। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास, संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.एस. टुटेजा, मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एल.के. श्रीवास्तव, कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गौतम राय, इफको के अधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी तथा बड़ी संख्या में किसान एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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