बस्तर में पहले दिन ग्रामीण क्षेत्रों में 92 व शहरी क्षेत्रों में 82 प्रतिशत बच्चों को पिलाई गई पोलियो की खुराक

जगदलपुर । बस्तर जिले में आज पल्स पोलियो महाअभियान का आगाज पूरे उत्साह और संकल्प के साथ हुआ । शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में माता-पिता की लंबी कतारें स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता की गवाही दे रही थीं । इस राष्ट्रीय अभियान को सफल बनाने के लिए जिले के जनप्रतिनिधियों ने भी अहम भूमिका निभाई और अभिभावकों का मनोबल बढ़ाया।चित्रकोट विधायक विनायक गोयल ने तोकापाल और टेकामेटा पहुंचकर नन्हे-मुन्नों को ‘दो बूंद जिंदगी की’ पिलाई। उन्होंने अभिभावकों का उत्साहवर्धन करते हुए नागरिकों से अपील की कि वे बस्तर को पोलियो मुक्त बनाए रखने में अपनी भागीदारी निभाएं। डॉ. संजय बसाक के अनुसार पहले ही दिन ग्रामीण क्षेत्रों में 92 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 82 प्रतिशत बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जा चुकी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय बसाक ने अभियान के पहले दिन की सफलता के आंकड़े साझा करते हुए बताया कि जिले में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। पहले ही दिन ग्रामीण क्षेत्रों में 92 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 82 प्रतिशत बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जा चुकी है। विशेष रूप से जिले के 40 बूथों पर शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया, जिनमें तोकापाल के 19, दरभा के 8, नानगुर के 11 और लोहंडीगुड़ा के 2 बूथ शामिल हैं। जिले में 0 से 5 वर्ष तक के कुल 1,24,377 बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए प्रशासन ने 498 बूथ, 1992 टीकाकरण कर्मी और 100 सुपरवाइजर तैनात किए थे। उन्हाेने बताया कि जो बच्चे आज 21 दिसंबर को किसी कारण वश बूथ पर दवा नहीं पी सके, उन्हें 22 और 23 दिसंबर को घर-घर जाकर दवा पिलाई जाएगी । उन्हाेने बस्तर जिले की समस्त जनता से पुनः अपील करते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग करें और छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करें, ताकि बस्तर और छत्तीसगढ़ राज्य निरंतर पोलियो मुक्त बना रहे।
डॉ. संजय बसाक ने बताया कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी बच्चा इस सुरक्षा चक्र से छूट न जाए। इसके लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मेलों और हाट-बाजारों जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर 20 मोबाइल टीमें और 24 ट्रांजिट टीमें तैनात की गईं। इन टीमों ने ईंट-भट्ठों और घुमंतु बसाहटों जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में जाकर भी बच्चों को दवा पिलाई। बस्तर के लिए यह गर्व का विषय है कि सन् 1996 के बाद से यहां पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जबकि पूरे भारत में 2011 से और छत्तीसगढ़ में 2002 से पोलियो का कोई केस रिपोर्ट नहीं हुआ है।







