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हे माँ! तू ही शक्ति, तू ही प्रेरणा – प्रत्युषा फाउंडेशन ने एकल मातृत्व को दिया प्रसूति सम्मान

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रायपुर। सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में जब एकल माताओं की कहानियाँ गूँजीं, तो सिर्फ आँसू नहीं, तालियाँ भी बरसीं। अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस पर आयोजित “एकल माँ प्रसूति सम्मान समारोह” केवल एक मंच नहीं था – यह उन माताओं की जीवित गाथा बन गया, जिन्होंने अकेलेपन को कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि उसे शक्ति में बदला।
साहस की प्रतिमूर्ति बनी माताएँ
प्रत्युषा फाउंडेशन की इस पहल ने उन माताओं को आवाज़ दी, जिनकी चुप्पी में दुनिया की सबसे गहरी कहानियाँ दबी थीं। अध्यक्ष प्रीति दास मिश्रा के अनुसार, यह कार्यक्रम उन स्त्रियों को समर्पित है जिन्होंने जीवन की सबसे कठिन घडिय़ों में अपने बच्चों के लिए ढाल बनकर खड़ी रहीं। 21 वर्ष की पुष्पा, जो रेलवे में कार्यरत हैं, अपने बच्चों को शिक्षा की ऊँचाइयों तक पहुँचा चुकी हैं। मोती दुबे, जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान जीवनसाथी को खोया, आज टिफिन सेवा के सहारे अपने बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज तक ले आईं। वहीं, 72 वर्षीय सुमित्रा देवी ने चार पीढिय़ों का पोषण अकेले किया। शांति देवी की कहानी ने भी सबको भावुक कर दिया – जिनके पुत्र आज शैक्षणिक संस्था के संचालक हैं।
नाम नहीं, मिसाल बनीं ये महिलाएँ
कार्यक्रम में मंच पर जिन माताओं ने सहभागिता दी, वे थीं – अर्चना तिवारी, मधु अरोड़ा, अन्नपूर्णा शर्मा, गौरी अवधिया, नीला बघेल, सुमन पांडे, पिंकी स्वामी, सुनीता शर्मा, किरण साहू, लता तिवारी, डी सुगमा, गोमती देवी प्रजापति, तिलोत्तमा प्रधान, कनकलता मिश्रा (बेमेतरा), आभा बघेल, मंजुलता साहू, साधना दास, शैफाली मंडल (माना), मनीषा सिंह बघेल, आरती उपाध्याय, सुषमा तिवारी, मधु जैन, कल्याणी भोई, और विद्या भट्ट।
सम्मान समारोह में विविध सहभागिता
मुख्य अतिथियों में प्रदेश भाजपा महामंत्री संजय श्रीवास्तव (अध्यक्ष, नागरिक आपूर्ति निगम), अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा, पार्षद राजेश गुप्ता (शंकर नगर) और सुमन पांडे (ठाकुर प्यारे लाल वार्ड) उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संरक्षण आभा मिश्रा ने किया, संयोजन शशिकांत शर्मा के हाथों में रहा, मंच संचालन दिव्यांशी सुरेश मिश्रा ने किया।
प्रत्युषा फाउंडेशन की प्रतिबद्ध टीम
संस्था की प्रेरक शक्ति – अध्यक्ष प्रीति दास मिश्रा, सचिव प्रवीण शुक्ला, कोषाध्यक्ष प्रेम प्रकाश साहू, मीडिया प्रभारी ऋतु प्रजापति, सदस्य – आयुष मिश्रा, वाय के जया, त्रिभुवन दास मिश्रा, अंजलि देशपांडे, पुष्पा साहू सहित सभी ने कार्यक्रम को आत्मीयता से निभाया।
सिर्फ सम्मान नहीं, अब साथ भी
फाउंडेशन ने भविष्य में एकल माताओं के लिए स्थायी सहायता समूहों के गठन की घोषणा की है, जिसमें आर्थिक सहयोग, कानूनी परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ और कौशल विकास शामिल होंगे। यह कदम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का आरंभ है।
संवेदन का संदेश
एकल माँ केवल संघर्ष की प्रतीक नहीं – वह निर्माण की नींव है। वह अकेली नहीं, बल्कि अजेय है। प्रत्युषा फाउंडेशन का यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि सच्ची शक्ति सदा मौन में छुपी रहती है – और माँ उसका सबसे सुंदर रूप है।

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